अध्ययन बताता है कि गरारे और जल नेति से नाक और गले की हुई धुलाई होती है और वायरल लोड को कम किया जा सकता है।
नई दिल्ली/अक्षर सत्ता/ऑनलाइन। हर रोज दिन में तीन बार गुनगुने पानी के गरारे और एक बार सही तकनीक से की गई योग की प्राचीन क्रिया जल नेती (नेजल वाॅश) आपको कोरोना संक्रमण से बचा सकती है। जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल की एक श्वास रोग विशेषज्ञ ने अपने एक अध्ययन में इस बात का दावा किया है। उनका यह अध्ययन इंडियन चेस्ट सोसयटी की ओर से प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल लंग्स इंडिया में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना का संक्रमण इंसान के मुंह और गले से होते हुए फेफडों तक पहुंचता है। गुनगुने पानी के गरारे और जल नेति इसे रोक सकती है। जल नेति यानी नेजल वॉश को मेडिकल साईंस में नेसोफेरेंजियल प्रोसेस भी कहते हैं। अध्ययन कहता है कि नाक और गला साफ तो कोरोना बाहर।
यह अध्ययन जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल की श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. शीतू सिंह ने किया है। उन्होंने बताया कि सर्दी खांसी और बुखार के रूप में प्रकट होने वाले अपर रेसपीरेटरी वायरल संक्रमण की रोकथाम में गरारे और जल नेति का हमने वैज्ञानिक मूल्यांकन किया है और यह पाया है कि कोविड जैसी बीमारियों की रोकथाम में यह काफी उपयोगी है। हालांकि उन्होंने कहा कि जल नेति एक विशेष क्रिया है और इसे किसी विशेषज्ञ से सीख कर सही तकनीक से करना जरूरी है।
अध्ययन बताता है कि जिस तरह हाथ धोने से हाथों का संक्रमण दूर होता है, उसी तरह गरारे और जल नेति से नाक और गले की हुई धुलाई होती है और वायरल लोड को कम किया जा सकता है। गले और नाक के म्यूकोसा की कोशिकाओं में नमक के क्लोराइड आयन हाइपोक्लोरस एसिड (एचओसीएल) में बदल जाते हैं। इसका एंटी वायरल प्रभाव होता है, जिससे गले और नाक के रास्ते में वायरल संक्रमण में कमी आती है।
डाॅक्टर ने बताया कि एचओसीएल ब्लीचिंग पाउडर का भी एक सक्रिय घटक है और हाथ धोने के लिये हम ब्लीचिंग पाउडर भी काम में लेते हैंं। इस शोध के ग्रुप लीडर श्वास रोग विशेषज्ञ और सवाई मानसिंह अस्पताल के श्वास रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि जापान में फेस मास्क और हाथ धोने को इन्फ्लूएंजा नियंत्रण के राष्ट्रीय दिशा निर्देश में शामिल किया गया है।
इसी तर्ज परए गरारे और नेजल वॉश को महामारी से बचाव के लिए भारत में प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कोविड में आमतौर पर शुरूआती लक्षणों के एक सप्ताह बाद सांस फूलने और निमोनिया की शिकायत होती है। ऐसे में प्रथम लक्षण सामने आते ही गरारे और जलनेति किए जाएं तो फायदा मिल सकता है।
डाॅ. वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि दिन में तीन बार गरारे करने चाहिए और सुबह खाली पेट जल नेति करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कोविड के समय में जब भी हम बाहर से आएं तो हमें गरारे करने चाहिए। जल नेति किसी विशेषज्ञ से सीखने के बाद सही तकनीक से करनी चाहिए और उच्च रक्तचाप, हृदय रोग तथा कान के छिद्र वालो को डाॅक्टर के परामर्श के बाद ही यह करना चाहिए। इसके अलावा यह दोनों ही क्रियाएं वाॅशबेसिन पर करनी चाहिए और करने के बाद वाॅशबेसिन को कीटाणु मुक्त करना चाहिए।
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