बाल कविता
पेड़ की पुकार
कोरोना के कहर के आगे, हुआ बेबस सारा संसार।
एक दिन बगीचे में मैनें, सुनी पेड़ की करुण पुकार।
पेड़ कह रहा था मुझसे, प्राण वायु का मैं भण्डार।
फिर क्यों तड़प रहा है मानव, क्यों रहा जीवन से हार।
मैनें कहा पेड़ से कुछ यूं ,तुमने निभाई जिम्मेदारी।
खींच सकें हम ऑक्सीजन, ख़त्म हुई ये शक्ति हमारी।
हमने सिर्फ अपनी ही सोची, हरियाली का किया नाश।
अब कोरोना ने कर डाला, मानव के जीवन का विनाश।
इस संकट के दौर में हम, लेते हैं ये पावन संकल्प।
ढेरों वृक्ष लगाएं हम सब, बचा है इक यही विकल्प।
अलका जैन ‘आराधना’
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