नई दिल्ली। मंगलवार की मध्यरात्रि, भारतीय रक्षा बलों ने अपनी रणनीतिक चपलता का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में स्थित 9 आतंकी केंद्रों को मिसाइल प्रहार से ध्वस्त कर दिया। इस प्रतिकारात्मक अभियान को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की संज्ञा दी गई, जो पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले की प्रतिक्रिया स्वरूप अंजाम दिया गया। भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चल रहे सैन्य तनाव के परिप्रेक्ष्य में यह एक निर्णायक मोड़ कहा जा सकता है।
अब एक नज़र भारत-पाक के बीच 1947 से आज तक हुए महत्त्वपूर्ण सैन्य टकरावों पर—
1947 — प्रथम भारत-पाक युद्ध (कबायली आक्रांताओं का कश्मीर घाटी में हमला)
स्वतंत्रता के ठीक बाद, जम्मू-कश्मीर की रियासत को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच सुलगते विवाद ने अक्टूबर 1947 में खुली जंग का रूप ले लिया। पाकिस्तान पोषित कबायली आक्रांताओं ने घाटी में अराजकता फैलाते हुए हमला बोला। महाराजा हरि सिंह ने जब भारत संघ में विलय का निर्णय लिया, तब भारत ने सैन्य कार्रवाई करते हुए क्षेत्र की रक्षा हेतु अपनी टुकड़ियाँ भेजीं। यह युद्ध जनवरी 1949 तक चलता रहा, जिसे संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता के पश्चात संघर्षविराम से विराम मिला। इसके उपरांत नियंत्रण रेखा (LoC) की रेखांकन रची गई, जिसने कश्मीर को दो खंडों में विभक्त कर दिया।
1965 — दूसरा युद्ध (छद्म रणनीति का मुँहतोड़ जवाब)
5 अगस्त 1965 को पाकिस्तान ने कश्मीर में ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ के तहत छद्म युद्ध की नींव रखी। पाकिस्तानी सैनिकों ने विद्रोहियों का चोला पहनकर नियंत्रण रेखा पार की और जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की। भारत ने इस उकसावे पर ज़ोरदार पलटवार किया और सीमांत क्षेत्रों में भीषण युद्ध छिड़ गया। यह युद्ध 23 सितंबर तक जारी रहा। सोवियत संघ और अमेरिका की मध्यस्थता से दोनों देशों ने अंततः युद्धविराम स्वीकारा।
1971 — बांग्लादेश की मुक्ति और पाकिस्तान की सबसे बड़ी पराजय
पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा किए जा रहे दमन और वहां के लोगों की स्वतंत्रता की पुकार ने भारत को हस्तक्षेप हेतु विवश कर दिया। भारत ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम को समर्थन देते हुए युद्ध में प्रवेश किया। भीषण युद्ध के पश्चात 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया। इस युद्ध ने एक नया राष्ट्र — बांग्लादेश — की उत्पत्ति को जन्म दिया, और भारत की सैन्य प्रतिष्ठा को नई ऊँचाई दी।
1999 — करगिल युद्ध (बर्फीली चोटियों पर जलते संग्राम)
गर्मियों की शुरुआत में जब दुनिया सुस्त थी, तब पाकिस्तान ने करगिल की पर्वतीय चोटियों पर अपने सैनिकों और आतंकवादियों को चुपचाप तैनात कर दिया। भारत ने ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत निर्णायक सैन्य अभियानों का संचालन किया, जिसकी वायु सेना ने ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ से पुष्ट समर्थन दिया। 26 जुलाई 1999 को, भारत ने क्षेत्रीय अखंडता को पुनः स्थापित कर युद्ध का समापन किया। इस दिन को 'करगिल विजय दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
2016 — उरी हमला और सर्जिकल प्रहार
18 सितंबर 2016 को उरी में हुए आत्मघाती हमले में 19 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हुए। इसका उत्तर भारत ने नियंत्रण रेखा के पार सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम से दिया। 28-29 सितंबर की रात भारतीय कमांडो दस्तों ने पीओके में स्थित आतंकी लॉन्च पैडों को निष्क्रिय कर दिया। यह कार्रवाई साहस और सैन्य परिशुद्धता का प्रतीक बन गई।
2019 — पुलवामा हमला और बालाकोट हवाई प्रहार
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में 40 जवान शहीद हुए। इस वीभत्स हमले की प्रतिध्वनि 26 फरवरी को भारतीय वायु सेना द्वारा बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर किए गए हवाई हमले के रूप में प्रतिदिन हुई। यह आक्रामक कार्रवाई 1971 के पश्चात पहली बार थी जब भारत ने अपनी वायु शक्ति से पाकिस्तान की सरहदों के भीतर जाकर प्रतिशोध लिया।
हर मोर्चे पर एक ही नतीजा — पाकिस्तान की हार और भारत की निर्णायक विजय।
इन तमाम सैन्य अभियानों ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत न केवल अपने भू-राजनीतिक संप्रभुता की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि समय पड़ने पर निर्णायक आघात देने से भी पीछे नहीं हटता।
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