नई दिल्ली। न्यायमूर्ति बी आर गवई ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की। वह 23 नवंबर, 2025 तक इस पद पर कार्यरत रहेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में उन्हें शपथ दिलाई। उन्होंने निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का स्थान लिया, जो मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए।
शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, जे पी नड्डा, अर्जुन राम मेघवाल, शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीश, कुछ पूर्व न्यायाधीश और कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस अवसर पर न्यायमूर्ति गवई की पत्नी, मां और परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद थे। शपथ लेने के बाद उन्होंने सबसे पहले अपनी मां के चरण स्पर्श किए।
न्यायमूर्ति खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति गवई की सिफारिश सरकार से की थी। न्यायमूर्ति गवई को 24 मई, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उनका मुख्य न्यायाधीश बनना उच्चतम न्यायालय के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि वह पूर्व मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन के बाद अनुसूचित जाति समुदाय से इस पद पर पहुंचने वाले दूसरे व्यक्ति हैं।
न्यायमूर्ति गवई प्रख्यात राजनीतिज्ञ, अंबेडकरवादी, पूर्व सांसद और कई राज्यों के राज्यपाल रहे आर एस गवई के पुत्र हैं। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से बी.ए. और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। 16 मार्च, 1985 से वकालत शुरू करने के बाद, उन्होंने 1987 से 1990 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की। इसके बाद उन्होंने बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में वकालत की। 14 नवंबर, 2003 को वे बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश और 12 नवंबर, 2005 को स्थायी न्यायाधीश बने। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी में विभिन्न पीठों की अध्यक्षता की।
सर्वोच्च न्यायालय में वह नोटबंदी, अनुच्छेद 370, चुनावी बॉन्ड योजना और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के उप वर्गीकरण जैसे महत्वपूर्ण मामलों में संवैधानिक पीठ का हिस्सा रहे। उन्होंने अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए क्रीमी लेयर की अवधारणा को लागू करने की जोरदार वकालत की है।
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