नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के बहराइच में सैयद सालार मसूद गाजी की ऐतिहासिक दरगाह पर हर साल आयोजित होने वाले उर्स पर इस बार स्थानीय प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने का मामला इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ तक पहुंच गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है, और इस मामले की अगली सुनवाई 14 मई 2025 को निर्धारित की गई है।
मामले का विवरण
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन राय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने वक्फ नंबर 19 दरगाह शरीफ, बहराइच की ओर से दाखिल रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया। याचिका में कहा गया कि सैयद सालार मसूद गाजी की यह दरगाह 1375 ईस्वी में फिरोजशाह तुगलक द्वारा बनवाई गई थी। यह दरगाह ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की है, जहां हर साल जेठ के महीने में एक माह तक चलने वाला उर्स आयोजित होता है। इस आयोजन में देश-विदेश से लगभग चार से पांच लाख श्रद्धालु भाग लेते हैं।
विवाद का कारण
इस बार उर्स का आयोजन 15 मई 2025 से शुरू होने वाला था, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। याचिका में यह तर्क दिया गया कि यह आयोजन लंबे समय से निर्बाध रूप से चलता आ रहा है और इसमें भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ वक्फ ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कानूनी पक्ष
याचिका की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता लालता प्रसाद मिश्र ने कोर्ट में तर्क दिया कि उर्स का आयोजन दरगाह की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है और इसे रोकना धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हो सकता है। उन्होंने कोर्ट से प्रशासन के फैसले को रद्द करने की मांग की। दूसरी ओर, कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
आगामी कदम
मामले की अगली सुनवाई 14 मई 2025 को होगी, जिसमें राज्य सरकार अपना जवाब पेश करेगी। इस सुनवाई के परिणाम पर न केवल बहराइच के श्रद्धालुओं, बल्कि पूरे देश के उन लोगों की नजर होगी जो इस ऐतिहासिक दरगाह से जुड़े हैं।
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