🌫️ 259 घंटे: जब हवा और तापमान दोनों रहे अनुकूल
अध्ययन के अनुसार, साल भर में कुल 8,760 घंटों में से केवल 2,210 घंटे ऐसे होते हैं जब तापमान 18 से 31 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है — यानी थर्मल कंफर्ट के अनुकूल। वहीं, 1,951 घंटे ऐसे हैं जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 150 से ऊपर यानी ‘खराब’ श्रेणी में होता है। इन आँकड़ों को मिलाकर देखा जाए, तो साल में केवल 259 घंटे ही ऐसे बचते हैं, जब दिल्ली में शुद्ध हवा और आरामदायक मौसम दोनों उपलब्ध होते हैं — जो कि कुल का महज 3% है।
🌍 अध्ययन का संदर्भ: हेल्दी बिल्डिंग 2025 सम्मेलन
यह चौंकाने वाली रिपोर्ट ‘इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ इंडोर एयर क्वालिटी’ के 8 जून को आयोजित 'हेल्दी बिल्डिंग 2025' सम्मेलन में प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि दिल्ली जैसे महानगरों में गर्मी और वायु प्रदूषण का संयुक्त प्रभाव शुद्ध पर्यावरण के अवसरों को गंभीर रूप से सीमित कर रहा है।
📊 अन्य शहरों की तुलना में दिल्ली की स्थिति सबसे खराब
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बेंगलुरु: 8,100 घंटे से अधिक स्वच्छ हवा और सुखद तापमान वाले समय मिले
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अहमदाबाद: गर्म मौसम के बावजूद अनुकूल बाहरी स्थितियाँ
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चेन्नई: दिल्ली जैसी स्थिति, जहां 88% आरामदायक घंटे खराब वायु गुणवत्ता के कारण प्रभावित हुए
शोधकर्ताओं के अनुसार, यह ट्रेंड भारत के अधिकांश महानगरों में तेजी से फैल रहा है।
🏢 भवन डिज़ाइन की पुरानी शैली अब बेअसर
रिपोर्ट में कहा गया कि मौजूदा समय में उपयोग हो रहे सीलबंद वातानुकूलित भवन या बिना फ़िल्टर के प्राकृतिक वेंटिलेशन अब कारगर नहीं हैं। इनसे न तो तापमान पर नियंत्रण संभव है और न ही प्रदूषण से राहत।
💡 समाधान: वैयक्तिक पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली (PECS)
अध्ययन में PECS (Personal Environmental Control Systems) को एक प्रभावी समाधान के रूप में सुझाया गया है। ये सिस्टम:
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हवा के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं
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अंदरूनी तापमान को स्थानीय स्तर पर बनाए रखते हैं
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मिश्रित-मोड इमारतों के लिए आदर्श हैं जो समय, मौसम और प्रदूषण के आधार पर वेंटिलेशन का तरीका बदल सकती हैं
⚡ ऊर्जा की बचत में भी कारगर
अध्ययन में तैयार मॉडल के अनुसार, PECS तकनीक पारंपरिक AC सिस्टम की तुलना में:
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चेन्नई में 72%,
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अहमदाबाद में 70%,
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और दिल्ली में 68% तक ऊर्जा की बचत कर सकती है।
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