भोपाल के व्यस्ततम इलाकों में से एक ऐशबाग क्षेत्र में हाल ही में एक रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण हुआ है, जिसकी असामान्य रूप से तीखी 90 डिग्री की मोड़ वाली डिज़ाइन ने ना सिर्फ ट्रैफिक की परेशानी बढ़ाई, बल्कि आम जनता की सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया।
सोशल मीडिया पर जैसे ही इस ब्रिज की तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए, विपक्ष और आम नागरिकों ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे इंजीनियरिंग की गंभीर चूक बताया।
⚖️ मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान, दी तत्काल कार्रवाई के निर्देश
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सात इंजीनियरों को तत्काल निलंबित करने और निर्माण में जिम्मेदार एक रिटायर्ड वरिष्ठ अधिकारी पर विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनसुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा, और इस प्रकार की लापरवाहियों को सख्ती से दंडित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा:
प्रदेश में निर्माण कार्यों में गुणवत्ता और सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। कोई भी अधिकारी या कर्मचारी लापरवाही करेगा तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई तय है।
🚧 जनता में नाराज़गी, भरोसे की परीक्षा
इस निर्माण को लेकर स्थानीय निवासियों और ट्रैफिक विशेषज्ञों ने भी पहले चिंता जताई थी। उन्होंने कहा कि 90 डिग्री की घुमावदार संरचना से दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ गई है, और यह पैदल यात्रियों व दोपहिया चालकों के लिए भी असुरक्षित है। अब जब सरकार ने कार्रवाई की है, तो लोगों में कुछ राहत और भरोसे की भावना देखने को मिली है।
📌 क्या बदलेगा आगे?
इस घटना के बाद राज्य सरकार ने लोक निर्माण विभाग के परियोजना निरीक्षण तंत्र को और सख्त करने का निर्णय लिया है। भविष्य में कोई भी निर्माण बिना साइट इन्पेक्टशन और सुरक्षा मूल्यांकन के स्वीकृत नहीं होगा।
भोपाल के 90 डिग्री ब्रिज के मामले में सरकार की यह कार्रवाई एक स्पष्ट संदेश है कि विकास कार्यों में लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री की तत्परता और सख्त रवैये ने यह संकेत दे दिया है कि अब निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
यह घटना सिर्फ एक पुल तक सीमित नहीं, बल्कि सार्वजनिक निर्माणों की जवाबदेही और पारदर्शिता की बड़ी परीक्षा है।
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