गोष्ठी की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार डॉ. श्याम कुंवर भारती (बोकारो, झारखंड) ने की और मुख्य अतिथि रहीं दीदी करूणा सिंह 'कल्पना' (रांची, झारखंड)। गोष्ठी की शुरुआत मारीशस से जुड़े साहित्यकार गोवर्धन सिंह फौदार 'सच्चिदानंद' के काव्यमयी प्रस्तुति से हुई, जिसने अंतरराष्ट्रीय रंगत को और निखार दिया।
विशिष्ट अतिथि एवं स्वागत वक्ता रहे—
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रजनी कटारे 'हेम' – वरिष्ठ पूर्णिका कार (जबलपुर)
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डॉ. निर्मला डोंगरे 'पूर्णिका' (सिहोरा, जबलपुर)
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डॉ. केवरा यदु 'मीरा' (राजिम, छत्तीसगढ़)
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आशुतोष तिवारी 'आशु कन्हैया' – शिक्षाविद (जबलपुर)
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आचार्य डॉ. इंजी संजीव वर्मा 'सलिल' – सारस्वत अतिथि (जबलपुर)
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यशोवर्धन पाठक – वरिष्ठ पूर्णिका कार (जबलपुर)
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रामगोपाल निर्मलकर 'नवीन' (सिवनी, म.प्र.) – पूर्णिका ज्ञानवर्धन प्रस्तुति
जिन रचनाकारों ने अपनी प्रभावशाली पूर्णिकाएं प्रस्तुत कीं, वे हैं —
गोवर्धन सिंह फौदार 'सच्चिदानंद' (मारीशस), एन डी निम्बावत 'सागर' (जोधपुर), विनोद कश्यप शर्मा (चंडीगढ़), डॉ. कृष्ण कुमार नेमा 'निर्झर' (सीहोर), उमा शर्मा 'अर्तिका' (नोएडा), रश्मि पाण्डेय 'शुभि', नमिता गुप्त 'श्री' (लखनऊ), ओमप्रकाश खरे (जौनपुर), चंद्र लता यादव (गुजरात), राम वल्लभ गुप्त (इंदौरी), मदन श्रीवास्तव, पं. अंशुल मिश्र 'कदम', सच्चिदानंद किरण (भागलपुर), डॉ. केवरा यदु 'मीरा', कमला सिंह पद्मा (दुर्ग), राजेश कुमार 'सरल' (हरियाणा), कविता नेमा 'काव्या', अशोक त्रिपाठी, जगदीश 'तपिश', उमेश दीक्षित (भिलाई), संतोष नेमा 'संतोष', शिव 'अलग' (नैनपुर), सीमा मिश्र (फतेहपुर), गायत्री ठाकुर 'सक्षम', कुंज बिहारी यादव, नरेंद्र श्रीवास्तव, रेखा नेमा, रमेश श्रीवास्तव 'चातक', विभा जैन 'ओजस' (इंदौर), मीना अश्विनी 'अमी', वंदना सोनी 'विनम्र', वैशाली वर्मा 'पूर्णिका', दीनदयाल यादव (बिलासपुर), कृष्ण मुरारी लाल 'मानव' (एटा), प्रदीप श्रीवास्तव (ग्वालियर), कीरत सिंह यादव 'कीरत' (भिंड), महेन्द्र पाल सिंह यादव (शाहजहांपुर), मथुरा प्रसाद कोरी, रजनीश सोनी 'नेह' (शहडोल), डॉ. इंदू जैन 'इन्दू' (इंदौर), तरुणा खरे 'तनु', मंजूलता नागेश (प्रयागराज), डॉ. नरेश सागर 'बेखौफ', सिद्धनाथ शर्मा 'सिद्ध' (वाराणसी), डॉ. अनीता मिश्र 'निधि' (जमशेदपुर), दीपेश पाण्डेय 'अंबर' (प्रयागराज), अनुराधा गर्ग 'दीप्ति', अनामिका दुबे 'निधि', सारिका शर्मा 'वृंदा' (ओमान), दीनदयाल तिवारी 'बैताल', डॉ. प्रदीप 'सत्यव्रत' (सीधी), अवधेश यादव 'संत' (अयोध्या), डॉ. कुमारी चंदा देवी स्वर्णकार, एवं प्रदीप नामदेव 'नम्र' (पनागर)।
पूर्णिका जनक डॉ सलपनाथ यादव 'प्रेम' ने किया सम्मानित
गोष्ठी के अंत में पूर्णिका विधा के जनक डॉ. सलपनाथ यादव 'प्रेम' ने सभी प्रतिभागियों को ई-सम्मान पत्र प्रदान कर सभी रचनाकारों का उत्साहवर्धन किया और पूर्णिका सृजन को जीवन का अभिन्न अंग बनाने की प्रेरणा दी।
- यह गोष्ठी सिर्फ एक साहित्यिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक वैचारिक आंदोलन बन चुका है, जिसमें "पूर्णिका" जैसी अनूठी विधा को नित नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा रहा है। सभी रचनाकारों का परस्पर सम्मान और समर्थन इस मंच की एक अद्भुत विशेषता बन चुकी है।
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- संपादक दयाल चंद यादव (एमसीजे)
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