कार्यक्रम में संबोधित करते हुए जदयू के वरिष्ठ नेता सूरज जायसवाल ने कहा, "जॉर्ज साहब भारतीय राजनीति में संघर्ष, सादगी और निष्ठा के प्रतीक थे। उनका जीवन एक ऐसा प्रेरणास्त्रोत है, जिसने राजनीति को जनसेवा की वास्तविक परिभाषा दी।"
3 जून 1930 को कर्नाटक के मैंगलोर में जन्मे जॉर्ज फर्नांडीस न केवल एक कर्मठ राजनेता बल्कि एक जुनूनी ट्रेड यूनियन लीडर भी रहे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन श्रमिकों, वंचितों और हाशिए पर खड़े तबकों के अधिकारों की लड़ाई में झोंक दिया। वर्ष 1974 की ऐतिहासिक रेलवे हड़ताल और आपातकाल के दौरान उनका संघर्ष, साथ ही बड़ौदा डायनामाइट केस में उनका निडर पक्ष, उन्हें जनता के सच्चे प्रतिनिधि के रूप में स्थापित करता है।
फर्नांडीस जी ने रक्षा मंत्री, उद्योग मंत्री, रेल मंत्री, संचार मंत्री जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालते हुए भी स्वयं को कभी सत्ता का अहंकार नहीं लेने दिया। समता पार्टी के संस्थापक और जनता दल के प्रमुख स्तंभों में से एक के रूप में वे हमेशा आमजन के बीच उपस्थित रहे।
उनकी सादगी आज भी लोगों को हैरान करती है — वे खुद अपने कपड़े धोते थे, कभी कंघा नहीं खरीदा और मामूली सी झोपड़ी में रहना स्वीकार किया। उनका निजी पुस्तकालय और वैचारिक समर्पण उन्हें भीड़ से अलग बनाता है।
कार्यक्रम में जदयू के प्रदेश सचिव डॉ. महेश सोंधिया, विधि प्रकोष्ठ महासचिव एडवोकेट राम गिरीश वर्मा, अल्पसंख्यक मोर्चा के इमाम खान, एससी मोर्चा महासचिव उदय पाटील, प्रदेश महासचिव सुभान सिंह सिसोदिया, प्रदेश सचिव अयाज अली, जिला अध्यक्ष नईम उर रहमान (गुड्डू भाई), पूजा पेंद्रो, मोहनविनय भगत, कंचन चौधरी, निलेश सिंह सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
कार्यक्रम के समापन पर सभी ने जॉर्ज साहब के आदर्शों को अपनाने, भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करने, तथा आमजन के हित में निरंतर संघर्षरत रहने की शपथ ली।
जॉर्ज फर्नांडीस का जीवन यह सिखाता है कि सच्चा नेतृत्व किसी पद या प्रतिष्ठा से नहीं, बल्कि विचार और जनसमर्पण से उपजता है। उनके विचार, आज भी समाज की रीढ़ हैं — और रहेंगे।
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