कथावाचकों पर अपमानजनक कृत्य से उबाल, संयुक्त पिछड़ा वर्ग मोर्चा ने किया प्रदर्शन, राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को सौंपा ज्ञापन

अक्षर सत्ता डिजिटल डेस्क, जबलपुर। उत्तर प्रदेश के इटावा में कथित रूप से ब्राह्मण समुदाय के असामाजिक तत्वों द्वारा पिछड़े वर्ग के कथावाचकों के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार को लेकर जबलपुर में आक्रोश फूट पड़ा। 22 जून 2025 को घटित इस घटना के विरोध में संयुक्त पिछड़ा वर्ग मोर्चा जबलपुर द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया गया। घटना के विरोध में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन कलेक्टर के माध्यम से सौंपा गया।



घटना के अनुसार, इटावा में यादव समाज से जुड़े कथावाचकों को भागवत कथा करने से रोका गया। व्यास गद्दी से उन्हें नीचे उतारकर कथित रूप से महिला के मूत्र का छिड़काव किया गया और यह कहा गया कि "अब तुम शूद्र पवित्र हो गए हो।" कथावाचकों की चोटी काटकर मुंडन भी कर दिया गया। इस अपमानजनक कृत्य को लेकर देशभर में विशेषकर पिछड़े वर्ग के लोगों में भारी आक्रोश है।

जबलपुर में हुआ प्रदर्शन और नारेबाजी
संयुक्त पिछड़ा वर्ग मोर्चा ने इस घोर निंदनीय घटना के विरोध में घंटाघर जबलपुर में प्रदर्शन कर नारेबाजी की। प्रदर्शन के उपरांत जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर एक ज्ञापन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम सौंपा गया। ज्ञापन में मांग की गई कि धार्मिक आधार पर भेदभाव करने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई हो तथा ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए कड़ा कानून लागू किया जाए।

गैर-ब्राह्मणों को भी मिले पूजा-पाठ का अधिकार
संगठन ने तमिलनाडु सरकार के मॉडल का हवाला देते हुए मांग की है कि देशभर के मंदिरों में गैर-ब्राह्मणों को भी पूजा-पाठ, कथा-वाचन और धार्मिक अनुष्ठान करने का समान अधिकार दिया जाए। उन्होंने कहा कि संविधान में वर्णित समानता के अधिकार का पालन करते हुए हर श्रद्धालु को धार्मिक कर्तव्यों का पालन करने का अवसर मिलना चाहिए, चाहे उसकी जाति कोई भी हो।

महापंचायत का एलान, ब्राह्मण पुजारियों के बहिष्कार की चेतावनी 
मोर्चा ने चेतावनी दी कि यदि दोषियों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो देशभर में महापंचायतें आयोजित कर ब्राह्मण पुजारियों के बहिष्कार का आह्वान किया जाएगा।

प्रमुख सामाजिक नेताओं की उपस्थिति
प्रदर्शन में बैजनाथ कुशवाहा, रामरतन यादव, भारत सिंह यादव, रामकुमार पटेल, शिव यादव, सीताराम पटेल, घनश्याम यादव, नरेश बारी, नोखेलाल प्रजा, धर्मेन्द्र कुशवाहा, एड. नरेश चक्रवर्ती, एड. ओ.पी. यादव, जगदीश नन्हेट, किशोरीलाल भलावी, गोपाल पाली, रामराज पटेल, छोटे पटैल, अशोक यादव, भगवानदास पटेल, एड. रामकिशोर शिवहरे, पवन यादव, विजय यादव, धनुष यादव, इन्द्रकुमार कुलस्ते, शैलेष लोधी, घनयाम चक्रवर्ती, विनीता यादव, उमेदा यादव, राममिलन यादव, अश्विनी जायसवाल, झारिया, इमाम खान, देवेन्द्र यादव, टीकाराम कोष्टा, मोतीलाल अहिरवार, एड. परमानन्द साहू, दयाल यादव, एड. रामजी वर्मा, युवराज विश्वकर्मा, गिरानी कुशवाहा, मूलचन्द मोरे, अतुल पटेल, अरविन्द कुशवाहा, डॉ. आर. के. पटेल, सुरेन्द्र यादव, प्रदीप यादव, शैलेन्द्र सिंह सरदार, शशांक यादव, डॉ. बालमुकुन्द, अखिलेश यादव, प्रवीण गजभिये, विनय भगत, संजय जैन, दया धुर्वे, गोलू विश्वकर्मा, देवकरण पटेल, रमेश रजक, सर्वेश यादव, एड. मनोज चौधरी, नाविक जी सहित 60 से अधिक सामाजिक व राजनीतिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रदर्शन में शामिल सैकड़ों कार्यकर्ता जिला प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे थे।

घटना ने एक बार फिर जातिगत भेदभाव, धार्मिक असमानता और मंदिरों में सामाजिक न्याय की बहस को केंद्र में ला दिया है। इस मामले ने न सिर्फ सामाजिक संगठनों को बल्कि आम नागरिकों को भी झकझोर दिया है। आने वाले दिनों में यह मामला देशभर में बड़ा जन आंदोलन बन सकता है।
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