जबलपुर। रेलवे दुर्घटनाओं से निपटने की तत्परता और समन्वय क्षमता को परखने के उद्देश्य से पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर मंडल में एक व्यापक मॉकड्रिल (नकली आपदा अभ्यास) का सफल आयोजन किया गया। यह मॉकड्रिल डुंडी-स्लीमनाबाद रेल खंड पर समपार संख्या 342/स्पेशल इंजीनियरिंग फाटक के पास किया गया, जहां एक काल्पनिक हादसे का सीन क्रिएट कर सजगता, सतर्कता और आपसी तालमेल का मूल्यांकन किया गया।
मॉक हादसे का परिदृश्य:
मॉकड्रिल में एक पिकअप और डंपर के बीच टक्कर का दृश्य रचा गया, जिसमें पिकअप पलट गया और उसके नीचे 8-10 मजदूरों के दबने तथा गंभीर रूप से घायल होने का अनुमानित परिदृश्य प्रस्तुत किया गया। घटना की सूचना समपार पर तैनात गेटमैन श्री संजय कुमार द्वारा तत्काल डूंडी स्टेशन मास्टर श्री पी.सी. रघुवंशी को दी गई। इसके बाद घटनाक्रम को तुरंत वरिष्ठ अधिकारियों और सिविल प्रशासन तक पहुंचाया गया।
राहत एवं बचाव कार्य की तत्परता:
घटना की सूचना मिलते ही जबलपुर और एनकेजे से दुर्घटना राहत गाड़ियाँ रवाना की गईं। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों—जैसे एडीआरएम, वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी, वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक, और इंजीनियरिंग व टीआरडी विभागों के अधिकारी—ने नियंत्रण कक्ष से स्थिति की निगरानी शुरू कर दी और कुछ ही समय में मौके पर भी पहुंच गए।
समन्वय की मिसाल:
इंजीनियरिंग, सिग्नल, टीआरडी, आरपीएफ, संरक्षा और चिकित्सा विभागों की टीमों ने आपसी तालमेल से राहत कार्यों को अंजाम दिया। मॉकड्रिल के दौरान सभी विभागों ने निर्धारित समय सीमा में प्रतिक्रिया देकर आपदा प्रबंधन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। समय 13:11 बजे वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी द्वारा इस आयोजन को औपचारिक रूप से “मॉकड्रिल” घोषित किया गया।
रेलवे की तैयारियों का बेहतरीन उदाहरण:
यह मॉकड्रिल न केवल रेलवे कर्मियों की सजगता की परख थी, बल्कि विभिन्न विभागों और सिविल प्रशासन के साथ बेहतर तालमेल और समयबद्ध कार्रवाई की सशक्त मिसाल भी बनी। जबलपुर मंडल द्वारा किया गया यह अभ्यास आपदा प्रबंधन की दिशा में एक सराहनीय कदम है, जो भविष्य में किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने में कारगर सिद्ध होगा।
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