ट्रंप के 25वें 'मध्यस्थता दावे' पर कांग्रेस का हमला — कहा, मोदी अब भी 'मौन', 73 दिनों से जवाब का इंतज़ार

भारत-पाक संघर्ष के बीच उठते सवाल, क्या प्रधानमंत्री की चुप्पी रणनीतिक है या राजनीतिक?

नई दिल्ली, 23 जुलाई 2025।
भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे सैन्य तनाव पर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच से टिप्पणी करते हुए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों के बीच संभावित युद्ध को रोकने में निर्णायक भूमिका निभाई। इसी क्रम में कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को सवालों के घेरे में खड़ा किया है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बुधवार को 'एक्स' (पूर्व ट्विटर) पर तीखे शब्दों में केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, "73 दिनों में ट्रंप ने 25वीं बार भारत-पाक सैन्य संघर्ष को रोकने का श्रेय खुद को दिया है, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री अब भी मौन साधे बैठे हैं।"

रमेश ने तंज कसते हुए कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के पास न तो संसद में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की तारीख देने का समय है और न ही इन पर कोई जवाब देने का इरादा। मगर ट्रंप इतने सक्रिय हैं कि उन्होंने इस मुद्दे पर ‘दावों की सिल्वर जुबली’ मना ली है।"

ट्रंप का बड़ा दावा और मोदी सरकार की प्रतिक्रिया पर सन्नाटा
खबरों के अनुसार, ट्रंप ने हालिया बयान में कहा, "हमने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवा दिया। वे परमाणु युद्ध की कगार पर थे। पांच लड़ाकू विमान गिराए जा चुके थे... तब मैंने उन्हें फ़ोन करके कहा — अगर आप यह सब करते रहे, तो व्यापार खत्म।"

यह पहला मौका नहीं है जब ट्रंप ने यह दावा किया हो। इससे पहले भी उन्होंने कई बार यह बात सार्वजनिक मंचों पर दोहराई है कि उनके हस्तक्षेप से भारत-पाक सैन्य संघर्ष थमा। हालांकि भारत सरकार ने कभी इन बयानों की पुष्टि नहीं की और न ही इन पर कोई स्पष्ट खंडन दिया।

राजनीतिक आरोप और रणनीतिक चुप्पी
कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार देश के आंतरिक सुरक्षा मुद्दों पर संसद में चर्चा टाल रही है और प्रधानमंत्री स्वयं सवालों से परहेज़ कर रहे हैं। रमेश ने कहा, "प्रधानमंत्री को केवल विदेश यात्राओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने की योजनाओं के लिए ही समय मिलता है, मगर देश की सुरक्षा से जुड़े सवालों पर वे मौन हैं।"

क्या भारत की चुप्पी रणनीति का हिस्सा है?
जहां एक ओर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बार-बार दावा कर रहे हैं कि उन्होंने दो परमाणु संपन्न राष्ट्रों को युद्ध से रोका, वहीं भारत सरकार की लगातार चुप्पी ने राजनयिक और रणनीतिक विश्लेषकों के बीच एक नई बहस को जन्म दिया है — क्या यह चुप्पी भारत की विदेश नीति का हिस्सा है या फिर घरेलू राजनीति का प्रभाव?

गौरतलब है कि भारतीय रक्षा मंत्रालय का कहना है कि मई में डीजीएमओ स्तर पर पाकिस्तान द्वारा संपर्क स्थापित किया गया था, जिसके बाद ही सैन्य कार्रवाई रोकने पर विचार हुआ। ऐसे में यह सवाल और भी गंभीर हो जाता है कि क्या भारत की चुप्पी ट्रंप के दावे को खारिज करती है या परोक्ष रूप से स्वीकार?

डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार के दावों और मोदी सरकार की लगातार चुप्पी ने विपक्ष को एक बार फिर हमलावर बना दिया है। अब देखना यह होगा कि सरकार कब और कैसे इस संवेदनशील विषय पर अपनी स्थिति स्पष्ट करती है — या फिर यह राजनीतिक चुप्पी आगे भी बरकरार रहेगी?

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