भारत-पाक संघर्ष के बीच उठते सवाल, क्या प्रधानमंत्री की चुप्पी रणनीतिक है या राजनीतिक?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने बुधवार को 'एक्स' (पूर्व ट्विटर) पर तीखे शब्दों में केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, "73 दिनों में ट्रंप ने 25वीं बार भारत-पाक सैन्य संघर्ष को रोकने का श्रेय खुद को दिया है, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री अब भी मौन साधे बैठे हैं।"
रमेश ने तंज कसते हुए कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के पास न तो संसद में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की तारीख देने का समय है और न ही इन पर कोई जवाब देने का इरादा। मगर ट्रंप इतने सक्रिय हैं कि उन्होंने इस मुद्दे पर ‘दावों की सिल्वर जुबली’ मना ली है।"
यह पहला मौका नहीं है जब ट्रंप ने यह दावा किया हो। इससे पहले भी उन्होंने कई बार यह बात सार्वजनिक मंचों पर दोहराई है कि उनके हस्तक्षेप से भारत-पाक सैन्य संघर्ष थमा। हालांकि भारत सरकार ने कभी इन बयानों की पुष्टि नहीं की और न ही इन पर कोई स्पष्ट खंडन दिया।
गौरतलब है कि भारतीय रक्षा मंत्रालय का कहना है कि मई में डीजीएमओ स्तर पर पाकिस्तान द्वारा संपर्क स्थापित किया गया था, जिसके बाद ही सैन्य कार्रवाई रोकने पर विचार हुआ। ऐसे में यह सवाल और भी गंभीर हो जाता है कि क्या भारत की चुप्पी ट्रंप के दावे को खारिज करती है या परोक्ष रूप से स्वीकार?
डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार के दावों और मोदी सरकार की लगातार चुप्पी ने विपक्ष को एक बार फिर हमलावर बना दिया है। अब देखना यह होगा कि सरकार कब और कैसे इस संवेदनशील विषय पर अपनी स्थिति स्पष्ट करती है — या फिर यह राजनीतिक चुप्पी आगे भी बरकरार रहेगी?
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