शरद यादव की 78वीं जयंती पर श्रद्धांजलि समारोह : मंडल मसीहा को याद कर बोले वक्ता – ‘साझी विरासत के सेनानी थे शरद यादव’

जबलपुर में “शरद यादव विचार मंच” के बैनर तले आयोजित हुआ श्रद्धांजलि कार्यक्रम, नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और युवाओं ने साझा कीं स्मृतियाँ

जबलपुर। समाजवादी राजनीति और सामाजिक न्याय के पुरोधा स्वर्गीय शरद यादव की 78वीं जयंती मंगलवार को जबलपुर सहित देशभर में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। जबलपुर में “शरद यादव विचार मंच” के तत्वावधान में आयोजित इस आयोजन में उन्हें “मंडल मसीहा” बताते हुए वक्ताओं ने कहा कि पिछड़ों, दलितों और वंचितों को अधिकार दिलाने की लड़ाई में शरद यादव अग्रणी सेनानी रहे।



🕯️ शरद यादव: संघर्ष और सिद्धांत का प्रतीक

वक्ताओं ने कहा कि शरद यादव वह नेता थे, जिन्होंने सत्ता की बजाय सिद्धांत को चुना। वे जातिगत जनगणना, सामाजिक न्याय, विषमता के खिलाफ आवाज और लोकतंत्र में सहभागिता बढ़ाने के पक्षधर थे।
उनकी लोकप्रियता इस बात से साबित होती है कि वे तीन राज्यों – मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और बिहार से लोकसभा में पहुंचे और 50 वर्षों तक भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे।


📚 छात्र राजनीति से संसद तक: जबलपुर से शुरू हुआ था सफर

  • जन्म: 1 जुलाई 1947, आंखमऊ गांव, बाबई तहसील, होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम), मध्यप्रदेश

  • शिक्षा: इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट – गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, जबलपुर

  • राजनीतिक शुरुआत: 1970 में जबलपुर यूनिवर्सिटी छात्रसंघ अध्यक्ष

  • लोकसभा प्रवेश: 1974 में जबलपुर से लोकसभा उपचुनाव जीता, लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने उन्हें "जनता प्रत्याशी" घोषित किया

  • चुनाव चिह्न: हलधर किसान


🗣️ क्या बोले वक्ता?

कार्यक्रम में शामिल वक्ताओं ने कहा:

आज जो पिछड़े वर्गों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिला है, वह शरद यादव के संघर्षों का परिणाम है।

वह हमेशा कहते थे – देश गोली से नहीं, लोक-लाज से चलता है।

शरद यादव साझी विरासत के पक्षधर थे। वे कहते थे – ‘जात नहीं, जमात जोड़ो’।
जयंती समारोह में वक्ताओं ने यह भी संकल्प लिया कि शरद यादव के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए समाजवादी विचारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाएगा।

उनकी सादगी, संघर्ष और सिद्धांतों से प्रेरणा लेते हुए नवीन सामाजिक आंदोलन शुरू करने की आवश्यकता जताई गई। 

👥 कार्यक्रम में शामिल रहे ये प्रमुख चेहरे

इस अवसर पर जबलपुर के समाजसेवी, राजनेता, अधिवक्ता, युवा कार्यकर्ता और शरद यादव के अनुयायियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। प्रमुख रूप से उपस्थित रहे:

बैजनाथ कुशवाहा, रामरतन यादव, शिव यादव, किशोरीलाल भलावी, पूर्व विधायक नन्हे लाल धुर्वे, घनश्याम यादव, विवेक अवस्थी, राधेश्याम अग्रवाल, नोखेलाल प्रजा, इन्द्रकुमार पटेल, अमित पांडे, सुधीर शर्मा, अशोक यादव, इमाम खान, जितेंद्र यादव, जगदीश नन्हेट,  भगवानदास पटेल, एड. रामकिशोर शिवहरे, पवन यादव, विजय यादव, धनुष यादव, इन्द्रकुमार कुलस्ते, शैलेष लोधी, घनयाम चक्रवर्ती,  देवेन्द्र यादव, टीकाराम कोष्टा, मोतीलाल अहिरवार, डॉ. बालमुकुन्द यादव, इमाम खान, दयाल चंद यादव, अनुराग सिंह, विष्णु मालिक, रिजवान अंसारी, रामकुमार पटेल, शक्ति सिंह मंडलोई, अशोक यादव, शैलेष लोधी, घनयाम चक्रवर्ती, एड. अशोक बेन, धीरज सिंह ठाकुर, सुभाष यादव, मनोज बाघमारे, महेश चौधरी, सरमन रजक, नर्मदा पटेल, धीरज आनंद, संजय जैन, अखिलेश यादव। 

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