इस अवसर पर जदयू प्रदेश अध्यक्ष सूरज जायसवाल ने स्व. नायक के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उन्हें अपनी गहन संवेदना और आदरांजलि समर्पित की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि स्वर्गीय बच्चन नायक न केवल एक जनप्रतिनिधि थे, बल्कि वे श्रमजीवी वर्ग की मूक पीड़ा को भाषाई मुखरता देने वाले निर्भीक स्वर भी थे। उन्होंने वंचितों, मेहनतकशों और हाशिये पर खड़े समुदायों की पीड़ा को अपने जीवन का ध्येय बना लिया था। समाजिक समरसता और न्याय के जिस बीज को उन्होंने अपने कर्मक्षेत्र में रोपा, वह आज भी एक वटवृक्ष की तरह समाज को छाया प्रदान कर रहा है।
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समाजवादी नेता बच्चन नायक |
सभा में मंचासीन अन्य विशिष्टजन—वरिष्ठ अधिवक्ता आर. जी. वर्मा, सामाजिक चिंतक उदय पाटील, जनसंपर्क प्रमुख विनोद साहू, प्रबुद्ध कार्यकर्ता विनय बौद्ध, समर्पित समाजसेवी कंचन चौधरी, तथा सामाजिक समन्वयक इमाम खान—सभी ने स्व. नायक के योगदानों को स्मरण करते हुए उन्हें कर्मयोग और समाजवादी संघर्ष का जीता-जागता प्रतीक बताया।
वक्ताओं ने अपने उद्बोधनों में यह साझा किया कि बच्चन नायक का संपूर्ण जीवन एक सतत आंदोलन था, जिसमें उन्होंने अधिकारहीन तबकों को उनके हक दिलाने के लिए स्वयं को खपा दिया। उनका मार्गदर्शन आज भी सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा-पुंज बना हुआ है।
सभा का समापन उनके सिद्धांतों पर दृढ़ रहने और समाजवादी आंदोलन को जनजागरण के स्तर तक पहुंचाने की सामूहिक शपथ के साथ किया गया। यह आयोजन न केवल एक श्रद्धांजलि था, बल्कि एक वैचारिक पुनर्संवेदन भी, जिसमें नायक जी के सपनों का समाज रचने की मूक प्रतिज्ञा समाहित थी।
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