जबलपुर। अधारताल क्षेत्र के नागरिकों में इन दिनों रोष और चिंता का माहौल है। वजह है अधारताल तालाब परिसर के मुख्य द्वार के समीप प्रस्तावित कचरा डंपिंग स्टेशन और गार्बेज प्लांट का निर्माण। स्थानीय सामाजिक संगठन जय हो अधारताल विकास समिति, क्षेत्रीय नागरिकों और पर्यावरण प्रेमियों ने इस प्रोजेक्ट का तीखा विरोध करते हुए 9 जुलाई 2025, बुधवार को सुबह 8:30 बजे विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।
विरोध स्थल अधारताल तालाब परिसर के मुख्य द्वार को चुना गया है, जो जबलपुर शहर के सबसे पुराने और सुंदर प्राकृतिक स्थलों में से एक माना जाता है। नागरिकों का कहना है कि यदि इस स्थान पर कचरा डंपिंग और गार्बेज प्रोसेसिंग यूनिट बनाई गई, तो अधारताल तालाब की स्वच्छ हवा, प्राकृतिक संतुलन और क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। यह न केवल क्षेत्र के निवासियों की सेहत को प्रभावित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खतरा पैदा करेगा।
‘जय हो अधारताल विकास समिति’ के संयोजक का कहना है—
“हम कोई राजनीतिक विरोध नहीं कर रहे, यह हमारी सांसों, हमारे बच्चों और अधारताल की धरोहर की रक्षा का आंदोलन है। गार्बेज प्लांट शहर में किसी उपयुक्त औद्योगिक क्षेत्र में बने, लेकिन तालाब जैसे पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र में नहीं।”
स्थानीय नागरिकों ने जताई चिंता
क्षेत्र की महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं ने भी इस परियोजना के खिलाफ आवाज उठाई है। उनका कहना है कि पहले ही शहर में प्रदूषण बढ़ रहा है, ऐसे में अधारताल जैसे हरित क्षेत्र को बचाना जरूरी है। एक महिला नागरिक ने कहा, “हम रोज सुबह तालाब किनारे टहलते हैं, बच्चे यहां खेलते हैं। गार्बेज प्लांट बनने से बदबू और गंदगी फैलेगी, जिससे यह जगह रहने लायक नहीं बचेगी।”
प्रशासन से मांग – परियोजना को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए
समिति और नागरिकों ने प्रशासन से यह मांग की है कि कचरा प्रबंधन के लिए कोई वैकल्पिक स्थान चुना जाए, जहां पर्यावरणीय और सामाजिक नुकसान न हो। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो जन आंदोलन और तेज किया जाएगा।
पर्यावरण विशेषज्ञों की राय
कुछ पर्यावरणविदों ने भी इस विरोध का समर्थन करते हुए कहा कि झीलों और तालाबों के पास किसी भी प्रकार का कचरा प्रबंधन संयंत्र बनाना पर्यावरणीय दृष्टिकोण से खतरनाक हो सकता है। इससे भूजल प्रदूषण, वायु गुणवत्ता में गिरावट और जैव विविधता पर असर पड़ सकता है।
अंत में—
अधारताल के नागरिक अपने अधिकार और पर्यावरण की रक्षा के लिए एकजुट हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस विरोध को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या इस संवेदनशील परियोजना को पुनः विचारार्थ लिया जाएगा।
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