मुख्य अतिथि श्री टिकेश्वर ने गुरु शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि ‘गु’ अंधकार अर्थात अज्ञानता का प्रतीक है, जबकि ‘रु’ प्रकाश अर्थात ज्ञान का संकेत करता है। इस प्रकार गुरु वह होता है जो अज्ञान के अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाता है। उन्होंने आरूणि और महर्षि आयोदधौम्य की कथा सुनाकर विद्यार्थियों को आज्ञापालन और समर्पण की प्रेरणा दी।
प्राचार्य प्रो. आर.आर. सोनवाने ने वशिष्ठ, सांदीपनि और द्रोणाचार्य जैसे प्राचीन गुरुओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए माता-पिता को प्रथम गुरु मानने का आह्वान किया। वहीं प्रो. सुरेंद्र कुमार चिखले ने थॉमस एडिसन और उनकी मां की प्रेरणादायक कहानी के माध्यम से समझाया कि एक मां के सकारात्मक दृष्टिकोण और विश्वास से एक सामान्य बालक दुनिया का महान वैज्ञानिक बन सकता है।
भोपाल से लाइव प्रसारण और वृत्तचित्र का प्रदर्शन
डॉ. डालेश कुमार विजयवार ने मंच संचालन की जिम्मेदारी निभाते हुए गुरु महिमा पर दोहे और श्लोकों के माध्यम से कार्यक्रम को भावनात्मक गहराई प्रदान की। इस अवसर पर भोपाल से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह का लाइव प्रसारण भी महाविद्यालय के सभागार में दिखाया गया। विद्यार्थियों को गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता से अवगत कराने हेतु एक वृत्तचित्र भी प्रदर्शित किया गया।
गुरुजनों को किया गया विशेष सम्मान
कार्यक्रम की समापन बेला में प्रो. कांता वर्मा ने सभी अतिथियों और सहभागियों का आभार व्यक्त किया। बी.ए. प्रथम वर्ष के छात्र पवन कश्यप ने समस्त प्राध्यापकगण एवं कर्मचारियों को पेन भेंट कर, मिठाई खिलाकर व तिलक लगाकर उनका अभिनंदन किया। साथ ही नवप्रवेशित विद्यार्थियों का भी तिलक कर मुंह मीठा कराया गया, जिससे कार्यक्रम में आपसी सम्मान और अपनत्व की भावना मुखर हुई।
कार्यक्रम को सफल बनाने में रहा इनका अहम योगदान
इस आयोजन की सफलता में प्रो. गोलू परते, नितेश मेश्राम, महेश दमाहे, डॉ. सूर्यप्रकाश साकेत, साहेबलाल एड़े, डॉ. ललित कामड़े, जसपाल सिंह सिद्धू, डॉ. बाऊ गोखले, ज्ञानदेव कुशले, कु. अंजली सोनी, के.के. चौधरी, श्रीमती ममता नारनौरे, लक्ष्मण बोरकर, कु. रोशनी सोनवाने, भागवत रघुवंशी, हितेश बंसोड़, राहुल पारधी, वैभव मुरकुटे, कैलाश कुमार इंझरावते, श्रीमती खेलन बाई राउत, श्रीमती गीता शुक्ला, शेषराम घोरमारे सहित अनेक छात्र-छात्राओं की सहभागिता उल्लेखनीय रही।
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