❗ इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: बिना वैध कारण पति से अलग रहने वाली पत्नी को नहीं मिलेगा गुजारा भत्ता

प्रयागराज, 13 जुलाई 2025।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुजारा भत्ता से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कानूनी व्यवस्था को दोहराते हुए कहा है कि यदि पत्नी बिना उचित और वैध कारण के पति से अलग रहती है, तो वह भरण-पोषण की हकदार नहीं होती। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा की एकलपीठ ने मेरठ की फैमिली कोर्ट के 17 फरवरी 2025 के आदेश को निरस्त करते हुए की।


यह फैसला विपुल अग्रवाल द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनाया गया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उनकी पत्नी बिना किसी न्यायसंगत कारण के उनसे अलग रह रही है, बावजूद इसके फैमिली कोर्ट ने पत्नी को ₹5,000 प्रतिमाह और नाबालिग बेटे को ₹3,000 प्रतिमाह भरण-पोषण देने का आदेश दे दिया था।

⚖️ कोर्ट ने कहा: "धारा 125(4) का सीधा उल्लंघन"

न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125(4) के अंतर्गत यदि पत्नी बिना किसी वैध कारण के पति को छोड़कर अलग रह रही है, तो वह भरण-पोषण की हकदार नहीं है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा,

"फैमिली कोर्ट ने यह मानते हुए कि पत्नी उचित कारण से अलग नहीं रह रही, फिर भी उसे गुजारा भत्ता दे दिया—यह निर्णय विरोधाभासी है और विधिक रूप से गलत है।"

🔁 मामला दोबारा फैमिली कोर्ट को भेजा

उच्च न्यायालय ने इस मामले को मेरठ की पारिवारिक अदालत को वापस भेज दिया है और निर्देश दिया है कि दोनों पक्षों की पुनः सुनवाई कर निष्पक्ष और कानूनी प्रावधानों के अनुरूप निर्णय लिया जाए।

हालांकि, न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक मामला लंबित रहेगा, याचिकाकर्ता को अंतरिम रूप से अपनी पत्नी को ₹3,000 और बच्चे को ₹2,000 मासिक भरण-पोषण के रूप में देना होगा।


👉 इस फैसले का व्यापक प्रभाव

इस निर्णय से उन मामलों पर प्रभाव पड़ेगा जहां पत्नियाँ बिना उचित कारण पति से अलग रहकर भरण-पोषण की मांग करती हैं। न्यायालय का यह फैसला पति-पत्नी के संबंधों में न्यायिक संतुलन की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।


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✍️ संपादक: दयाल चंद यादव (एमसीजे)

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