⚖️ कोर्ट ने कहा: "धारा 125(4) का सीधा उल्लंघन"
न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125(4) के अंतर्गत यदि पत्नी बिना किसी वैध कारण के पति को छोड़कर अलग रह रही है, तो वह भरण-पोषण की हकदार नहीं है।
न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा,
"फैमिली कोर्ट ने यह मानते हुए कि पत्नी उचित कारण से अलग नहीं रह रही, फिर भी उसे गुजारा भत्ता दे दिया—यह निर्णय विरोधाभासी है और विधिक रूप से गलत है।"
🔁 मामला दोबारा फैमिली कोर्ट को भेजा
उच्च न्यायालय ने इस मामले को मेरठ की पारिवारिक अदालत को वापस भेज दिया है और निर्देश दिया है कि दोनों पक्षों की पुनः सुनवाई कर निष्पक्ष और कानूनी प्रावधानों के अनुरूप निर्णय लिया जाए।
हालांकि, न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक मामला लंबित रहेगा, याचिकाकर्ता को अंतरिम रूप से अपनी पत्नी को ₹3,000 और बच्चे को ₹2,000 मासिक भरण-पोषण के रूप में देना होगा।
👉 इस फैसले का व्यापक प्रभाव
इस निर्णय से उन मामलों पर प्रभाव पड़ेगा जहां पत्नियाँ बिना उचित कारण पति से अलग रहकर भरण-पोषण की मांग करती हैं। न्यायालय का यह फैसला पति-पत्नी के संबंधों में न्यायिक संतुलन की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
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