मासूम के झुलसने के बाद दहशत में जी रहा परिवार, बढ़ईयाखेड़ा की नई बस्ती में करंट के खतरे से सहमे लोग

जबलपुर, बरगी नगर। ग्राम पंचायत मगरधा के अंतर्गत आने वाली नई बस्ती बढ़ईयाखेड़ा में मूलभूत सुविधा कहे जाने वाली बिजली व्यवस्था अब लोगों के लिए खौफ और खतरे का कारण बन गई है। बीते दिनों एक 1 वर्षीय मासूम बच्चा ट्रांसफार्मर के सपोर्टिंग तारों की चपेट में आकर झुलस गया, जिसके बाद से पूरा परिवार दहशत के साए में जी रहा है।


जानकारी के अनुसार, पीड़ित अर्जुन सिंह का बेटा राजेंद्र आंगन में खेलते समय पास के विद्युत पोल के संपर्क में आ गया। सौभाग्य से पास ही मौजूद अर्जुन और उसकी मां छोटी बाई की सूझबूझ से मासूम की जान बच गई। लकड़ी और पत्थर से तार से छुड़ाकर बच्चे को करंट से अलग किया गया। हालांकि बच्चा घायल हो गया, लेकिन बड़ी अनहोनी टल गई। तब से पूरे मोहल्ले में बिजली के पोल और ट्रांसफार्मर को लेकर भय का माहौल है।

घर के आंगन में खड़ा है खतरा

पीड़ित परिवार का आरोप है कि वर्ष 2017 में जब ट्रांसफार्मर और खंभा लगाया गया, उन्होंने स्पष्ट आपत्ति जताई थी, लेकिन ठेकेदार ने बात नहीं मानी और उनके घर के ठीक सामने ही खतरनाक विद्युत उपकरण लगा दिए गए। ना तो सुरक्षा फेंसिंग है, ना ही कोई गेट या बाउंड्री

रोज होते हैं शॉर्ट सर्किट और चिंगारी

स्थानीय निवासियों के अनुसार, खंभों में बार-बार शॉर्ट सर्किट होते हैं और कई बार आग भी लग चुकी है। बरसात में हालात और खराब हो जाते हैं। तेज हवाओं में जब तार टकराते हैं, तो चिंगारी और करंट का खतरा और बढ़ जाता है।

सुनवाई नहीं, हादसे का इंतजार?

ग्राम के पूर्व जनपद सदस्य ओमप्रकाश परस्ते ने बताया कि जब लाइन डाली जा रही थी, तब ही उन्होंने ट्रांसफार्मर और खंभे को घरों से दूर लगाने की मांग की थी, लेकिन बिजली कंपनी और ठेकेदारों ने अनसुनी कर दी। आज ये खंभे पूरे मोहल्ले के लिए मुसीबत बन गए हैं।

दूसरे मोहल्ले में भी करंट से बाल-बाल बची वृद्धा

नई बस्ती की ही एक अन्य घटना में 75 वर्षीय सुखमणि बाई और कृष्णा बाई बरकड़े को भी बिजली की चपेट में आने से बचाया गया। तेज हवा में खंभे की केबल टूटकर दरवाजे पर गिर गई, जिससे पूरा दरवाजा करंट की चपेट में आ गया था।

डूब प्रभावितों की पुनर्वास बस्ती है यह क्षेत्र

यह क्षेत्र बरगी डैम के डूब क्षेत्र में आता है और यहां अधिकतर लोग विस्थापित होकर बसाए गए हैं। इन गरीब परिवारों में अधिकांश आदिवासी और मछुआरा समुदाय के लोग शामिल हैं, जो पहले से ही सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं।

बिजली विभाग ने झाड़ा पल्ला, समाधान की बजाय टालमटोल

स्थानीय विद्युत वितरण केंद्र के जे.ई. वी.के. द्विवेदी ने बताया कि “अब कंपनी नहीं, ठेकेदार ही कार्य करते हैं। समस्या बताई है, एक बार जाकर खुद देखूंगा। वरिष्ठ अधिकारियों को बताने से ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, आप विधायक से पत्र दिलवाइए, काम जल्दी हो जाएगा।”

बिजली जैसी बुनियादी सुविधा अगर खतरे का कारण बन जाए तो यह विभागीय लापरवाही की पराकाष्ठा है। नई बस्ती बढ़ईयाखेड़ा में ट्रांसफार्मर और विद्युत पोल को सुरक्षित ढंग से हटाकर किसी सुरक्षित स्थान पर लगाने की मांग न सिर्फ पीड़ित परिवार की, बल्कि पूरे क्षेत्र की है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो भविष्य में कोई बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता।

सम्बंधित प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को जल्द हस्तक्षेप कर स्थिति को सुधारना चाहिए।

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