ओडिशा में मवेशी तस्करी के संदेह में दलितों की पिटाई पर मानवाधिकार आयोग सख्त, राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट

घास खिलाने, नाले का पानी पिलाने और सिर मुंडवाने की घटना पर दो सप्ताह में मांगा जवाब

नई दिल्ली/गंजम। ओडिशा के गंजम जिले में कथित मवेशी तस्करी के संदेह में दलित समुदाय के दो व्यक्तियों के साथ अत्याचार और अमानवीय व्यवहार के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने राज्य सरकार से दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए ओडिशा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है।


🛑 क्या है मामला?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घटना 26 जून को ओडिशा के गंजम ज़िले में हुई, जहां कथित मवेशी तस्करी के शक में एक समुदाय के कुछ लोगों ने अनुसूचित जाति (SC) के दो व्यक्तियों को:

  • निर्दयता से पीटा,

  • घास खाने और नाले का पानी पीने पर मजबूर किया,

  • उनके मोबाइल फोन छीन लिए,

  • और सिर जबरन मुंडवा दिए।


⚖️ मानवाधिकार आयोग की प्रतिक्रिया

एनएचआरसी ने बुधवार को जारी अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा,

यदि मीडिया रिपोर्ट्स में वर्णित तथ्य सत्य हैं, तो यह मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन का मामला है।

आयोग ने राज्य प्रशासन से निम्न जानकारियाँ तलब की हैं:

  • अब तक की गई कानूनी कार्रवाई का विवरण

  • दोषियों के विरुद्ध पंजीकृत प्राथमिकी और गिरफ्तारी की स्थिति

  • पीड़ितों को दिया गया मुआवजा या सहायता (यदि कोई हो)

  • भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए उठाए गए कदम


🚨 दलित उत्पीड़न का चिंताजनक संकेत

यह घटना केवल कानून-व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि दलित समुदाय के विरुद्ध गहरी सामाजिक असहिष्णुता का संकेत देती है। यदि किसी को अपराधी समझा भी जाए, तो न्यायिक प्रक्रिया के बिना इस प्रकार की सार्वजनिक प्रताड़ना भारत के संविधान और मानवाधिकार सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है।


🗣️ क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस घटना को "मॉब जस्टिस" का उदाहरण बताया है और दोषियों के विरुद्ध तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने यह भी मांग की है कि पीड़ितों को SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत उचित मुआवजा और सुरक्षा दी जाए।


🧭 आगे की राह: जवाबदेही और सुधार आवश्यक

यह घटना एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि भीड़तंत्र के नाम पर सामाजिक न्याय और संवैधानिक मर्यादाएं लगातार खतरे में हैं। केवल अपराधियों की गिरफ्तारी से समाधान नहीं होगा, बल्कि राज्य सरकार को ऐसे मामलों में दृढ़ता से निवारक उपाय लागू करने होंगे। 

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