कचरा प्रबंधन हुआ ठप, बीमारियों का खतरा बढ़ा
बारिश के बीच गलियों में सड़ता कचरा केवल बदबू नहीं फैला रहा, बल्कि मलेरिया, डेंगू और अन्य संक्रामक बीमारियों के खतरे को भी बढ़ा रहा है। नगरवासी लगातार शिकायत कर रहे हैं कि महीनों से मोहल्लों में सफाई नहीं हुई है। परिणामस्वरूप, मक्खी-मच्छरों की भरमार हो गई है।
डंपिंग स्थल तक नहीं पहुंच रहा वाहन
नगर परिषद द्वारा पूर्व में बगदेही क्षेत्र में एक कचरा डंपिंग स्थल निर्धारित किया गया था। कुछ समय तक वहां कचरा डंप किया भी गया, लेकिन अब परिषद का दावा है कि बरसात के कारण वाहन वहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस कारण कचरा संग्रहण और निपटान का पूरा तंत्र ठप हो गया है।
नगर परिषद पर गंभीर आरोप
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह समस्या नई नहीं है। कभी स्कूल मैदान, कभी नाले के किनारे और कभी हेलीपैड के पास कचरा फेंका गया, जिससे पर्यावरण को नुकसान हुआ और जनता परेशान होती रही। अब जब एक स्थायी डंपिंग स्थल मिला भी, तो वहां तक सड़क नहीं बना पाने को नगर परिषद बहाना बना रही है।
"नगर परिषद यदि चाहे, तो एक दिन में वाहन योग्य रास्ता तैयार किया जा सकता है। समस्या समाधान की इच्छा शक्ति की कमी है, संसाधन की नहीं," — स्थानीय निवासी।
लोगों की मांग: तात्कालिक और दीर्घकालिक समाधान
नगरवासियों ने नगर परिषद से मांग की है कि:
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तत्काल प्रभाव से कचरा उठाने का कार्य शुरू किया जाए।
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बगदेही तक वाहन मार्ग का निर्माण प्राथमिकता से हो।
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दीर्घकालिक समाधान के लिए आधुनिक कचरा प्रबंधन नीति तैयार की जाए, जिसमें कचरे का पृथक्करण, रीसाइक्लिंग, और सुरक्षित निपटान सुनिश्चित हो।
"कचरा प्रबंधन एक बुनियादी सुविधा है और यह सुनिश्चित करना नगर परिषद की जिम्मेदारी है।" — एक बुजुर्ग नागरिक का गुस्सा।
आंदोलन की चेतावनी
शहरवासियों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि नगर परिषद ने जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, तो वे सड़क पर उतरकर विरोध दर्ज कराएंगे। यह मुद्दा केवल स्वच्छता से नहीं, बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य, पर्यावरण और शहर की छवि से जुड़ा है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि नगर परिषद इस गंभीर स्थिति को हल्के में लेती है या जिम्मेदारी निभाकर जनता के विश्वास पर खरा उतरती है।
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