वसूली का आलम, शिकायतें धूल चाटती रहीं
सूत्रों के अनुसार 24 जून को नगर परिषद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को व्यापारियों ने एक लिखित शिकायत सौंपी थी, जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया कि बाजार में ठेकेदार शासन द्वारा निर्धारित दरों से अधिक राशि वसूल रहा है। इतना ही नहीं, मवेशी बाजार में भी खरीदार और विक्रेता—दोनों से ज़बरन रसीद काटी जा रही है। व्यापारियों का यह भी आरोप है कि यदि कोई ठेकेदार की मनचाही रकम न दे, तो उसके साथ बदसलूकी की जाती है और धमकी दी जाती है कि उसे व्यापार नहीं करने दिया जाएगा।
बाजार बंद की चेतावनी, प्रशासनिक संवेदनहीनता
ठेकेदार की दबंगई और नगर परिषद की चुप्पी से आक्रोशित होकर व्यापारियों ने साफ शब्दों में चेतावनी दी थी कि यदि कार्यवाही नहीं हुई तो वे साप्ताहिक बाजार को पूर्णतः बंद कर देंगे। परंतु शिकायत के एक माह बीत जाने के बाद भी जिम्मेदारों ने न तो कोई जाँच की और न ही कार्रवाई का संकेत दिया। नतीजतन, ठेकेदार का हौसला और व्यापारियों की पीड़ा दोनों चरम पर पहुँच चुके हैं।
हज़ारों ग्रामीणों के लिए संकट में बदला हाटबाजार
रविवार को लगने वाला यह साप्ताहिक बाजार लांजी नगर ही नहीं बल्कि पूरे तहसील क्षेत्र के लिए जीवनरेखा है। यहां दूर-दराज़ के गांवों से लोग ज़रूरत का सामान खरीदने आते हैं। साथ ही, बाहर से आने वाले व्यापारी भी इस बाजार में अपना कारोबार करते हैं, जो अब ठेकेदार की अवैध मांगों से परेशान होकर विकल्प तलाशने को मजबूर हैं।
जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रियाएं: ‘अब करेंगे कार्रवाई’
संदीप रामटेक्कर, उपाध्यक्ष, नगर परिषद लांजी
हमें इस अवैध वसूली की जानकारी प्राप्त हुई है। सीएमओ से इस संबंध में चर्चा की जाएगी कि उन्होंने अब तक क्या कदम उठाए। अगली सामान्य सभा की बैठक में हम सभी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से चर्चा कर व्यापारियों के हित में ठोस निर्णय लेंगे। यदि शिकायत सत्य पाई गई, तो ठेकेदार के विरुद्ध नगर पालिका अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई होगी।
श्रीमती रेखा तारांचद कालबेले, अध्यक्ष, नगर परिषद लांजी
यह बाजार वर्षों से गरीब व्यापारियों की आजीविका का केंद्र रहा है। लगातार अवैध वसूली की शिकायतें मिल रही हैं, जिससे परिषद की साख को गहरी चोट पहुंच रही है। सामान्य सभा में इस विषय को प्रमुखता से रखा जाएगा और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
किशोर रामटेक्कर, सभापति, नगर परिषद लांजी
ठेकेदार प्रत्येक व्यापारी से रकम तो वसूलता है, लेकिन सुविधाएं शून्य हैं। खासकर महिलाओं और बुजुर्गों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। अवैध वसूली ने पूरे बाजार में अशांति फैला दी है। इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाएगा।
लांजी का यह मामला सिर्फ़ एक बाजार की व्यवस्था का नहीं, बल्कि प्रशासन की ज़िम्मेदारी पर उठते सवालों का है। यदि एक माह पूर्व दर्ज की गई शिकायतों पर भी कोई हलचल नहीं होती, तो यह नागरिक विश्वास पर कुठाराघात जैसा है। अब देखना यह है कि क्या जनप्रतिनिधियों के आश्वासन हकीकत का रूप लेंगे या फिर व्यापारियों का आक्रोश आंदोलन की शक्ल अख्तियार करेगा।
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