नसकट्टा के आदिवासी बुनियादी सुविधाओं से वंचित, कीचड़ भरे रास्ते से होकर गुजर रही है जिंदगी

लांजी, बालाघाट। आज़ादी के 77 साल बाद भी आदिवासी बाहुल्य ग्राम नसकट्टा में विकास अब तक नहीं पहुंच पाया है। ग्राम पंचायत खुर्शीटोला के अधीन आने वाला यह गांव आज भी सड़क, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। यहां के दो किलोमीटर का संपर्क मार्ग बारिश में कीचड़ और दलदल में तब्दील हो जाता है, जिससे ग्रामीणों की आवाजाही लगभग ठप हो जाती है।


बारिश में सड़क नहीं, संकट बन जाता है रास्ता

गांव से मुख्य सड़क तक का कच्चा रास्ता आदिवासी समुदाय के लिए मुसीबत बन गया है। बरसात में यह मार्ग इतना कीचड़मय हो जाता है कि न तो पैदल चलना संभव रहता है और न ही किसी वाहन की आवाजाही। आपात स्थिति में मरीज को अस्पताल ले जाना हो तो ग्रामीणों को खाट या कंधे के सहारे निकलना पड़ता है।

पानी की किल्लत, दूषित हैंडपंप बढ़ा रहे खतरा

गांव में हैंडपंप की संख्या तो सीमित है ही, उनमें से अधिकतर से आने वाला पानी भी पीने योग्य नहीं है। एक हैंडपंप से लाल रंग का पानी निकलता है, जो ग्रामीणों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है। गर्मियों में अधिकांश हैंडपंप सूख जाते हैं और ग्रामीणों को दूर-दराज के क्षेत्रों से पानी लाना पड़ता है।

शिक्षा बाधित, बच्चों को पढ़ाई के लिए करनी पड़ती है जद्दोजहद

गांव में सिर्फ कक्षा 5 तक की पढ़ाई की सुविधा है। इसके आगे की पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों को दूसरे गांवों का रुख करना पड़ता है। लेकिन दलदली रास्तों के चलते बरसात में बच्चों का स्कूल जाना भी मुश्किल हो जाता है। कई बार वे कीचड़ से लथपथ होकर स्कूल पहुंचते हैं, जिससे पढ़ाई पर असर पड़ता है।

स्वास्थ्य सेवाएं नदारद, जड़ी-बूटी ही सहारा

ग्राम में न तो कोई स्वास्थ्य केंद्र है और न ही बारिश के मौसम में स्वास्थ्य अमला यहां पहुंचता है। किसी ग्रामीण के बीमार होने पर लोग पारंपरिक जड़ी-बूटियों से इलाज करते हैं। गंभीर स्थिति में मरीज को खाट या डोली के माध्यम से 2 किमी दलदली रास्ता पार कर मुख्य मार्ग तक लाया जाता है।

सरपंच का दावा, जल्द होगा सड़क निर्माण

ग्राम पंचायत खुर्शीटोला के सरपंच ओमप्रकाश दौने का कहना है कि –

सड़क पीएमजीएसवाई योजना के तहत स्वीकृत हो चुकी है और जल्द ही उसका निर्माण कार्य शुरू होगा। ग्रामीणों को भी स्वच्छता और ग्राम विकास में भागीदारी निभानी चाहिए। जो भी समस्याएं हैं, वे हमें बताएं, समय रहते उनका समाधान किया जाएगा।

ग्रामीणों का आरोप, जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा

ग्रामीणों का आरोप है कि चुनावों के समय वादे करने वाले जनप्रतिनिधि आज गांव की सुध नहीं लेते। पिछले दो वर्षों में विधायक एक बार भी ग्राम नहीं पहुंचे और न ही कोई विकास कार्य हुआ है। बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सड़क और शिक्षा की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।


🛑 जरूरत है ठोस कार्रवाई की, न कि सिर्फ आश्वासनों की

ग्राम नसकट्टा की स्थिति यह स्पष्ट करती है कि योजनाओं की घोषणाएं जब तक ज़मीनी स्तर पर नहीं उतरेंगी, तब तक ग्रामीण आदिवासी समुदाय यूं ही मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करता रहेगा। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इन ग्रामीणों की पीड़ा को प्राथमिकता देना होगी। 

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