कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार को 'एक्स' (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा,
भारतीय कूटनीति की विफलता चार ठोस घटनाओं में साफ दिखाई देती है, जो प्रधानमंत्री और उनके समर्थकों की गढ़ी हुई छवियों को उजागर करती हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर ट्रंप के दावों पर मोदी की चुप्पी क्यों?
कांग्रेस ने सबसे पहले ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का मुद्दा उठाया, जिसको लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप 25 बार यह दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को रोकने के लिए व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप किया और चेतावनी दी कि युद्ध न रोका गया तो अमेरिका व्यापार समझौता नहीं करेगा।
कांग्रेस का आरोप है कि इस तरह के दावों पर प्रधानमंत्री मोदी की लगातार चुप्पी दर्शाती है कि या तो वह दबाव में हैं या फिर ट्रंप की कथित मध्यस्थता की बातों को लेकर कोई स्पष्टीकरण देना नहीं चाहते।
अमेरिका और पाकिस्तान की बढ़ती निकटता पर कांग्रेस का सवाल
रमेश ने चार घटनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये सारी बातें दिखाती हैं कि अमेरिका की विदेश नीति अब पाकिस्तान के पक्ष में अधिक झुक रही है—
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10 जून 2025 – अमेरिका की केंद्रीय कमान के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ "शानदार साझेदार" बताया।
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18 जून 2025 – राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के साथ व्हाइट हाउस में लंच मीटिंग की, जो पूर्व नियोजित नहीं थी।
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25 जुलाई 2025 – अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाक उप प्रधानमंत्री इसहाक डार से मुलाकात की और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग के लिए पाकिस्तान की प्रशंसा की।
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22 अप्रैल 2025 – पहलगाम में हुए आतंकी हमले की पृष्ठभूमि खुद पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख आसिम मुनीर के भड़काऊ बयानों से बनी थी।
चीन पर चुप्पी, पाकिस्तान पर नरमी – कांग्रेस का हमला
कांग्रेस ने याद दिलाया कि 19 जून 2020 को गलवान घाटी विवाद के बाद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीन को दी गई "क्लीन चिट" की कीमत अब देश को लगातार चुकानी पड़ रही है। पार्टी का कहना है कि प्रधानमंत्री की विदेश नीति "झूठे प्रचार" पर आधारित रही है, जबकि वास्तविकता इसके एकदम विपरीत है।
रमेश ने कहा,
डोनाल्ड ट्रंप के साथ जो ‘दोस्ती’ बार-बार प्रचारित की गई, वह न सिर्फ खोखली है, बल्कि भारत की रणनीतिक स्थिति को कमजोर करने वाली साबित हुई है।
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