यह मांग वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यम सिंह राजपूत द्वारा पत्र याचिका के माध्यम से की गई है। याचिका में कहा गया है कि यह न केवल एक नृशंस अपराध है, बल्कि यह देश की न्यायिक शिक्षा प्रणाली और महिलाओं की सुरक्षा पर गहरा आघात है।
📌 क्या है मामला?
यह मामला 25 जून 2025 का है, जब दक्षिण कोलकाता विधि कॉलेज परिसर में एक 24 वर्षीय विधि छात्रा के साथ कथित रूप से क्रूर सामूहिक दुष्कर्म किया गया। आरोप है कि यह घटना कॉलेज परिसर के भीतर घटी, जिससे राज्य की कानून-व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
⚖️ सीजेआई से स्वत: संज्ञान और सीबीआई जांच की मांग
अधिवक्ता सत्यम सिंह राजपूत ने पत्र याचिका में लिखा है कि—
यह मामला न केवल बलात्कार का है, बल्कि इसमें न्यायिक और शैक्षणिक संस्थानों की निष्क्रियता भी उजागर होती है। पीड़िता को न्याय दिलाने और समाज में विश्वास बहाल करने के लिए उच्चतम न्यायालय को हस्तक्षेप करना चाहिए।
उन्होंने सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसी से निष्पक्ष जांच कराने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि स्थानीय प्रशासन पर जनविश्वास कमजोर पड़ा है।
🚨 राजनीतिक चुप्पी और जनता में आक्रोश
घटना को लेकर जहां जनमानस में भारी आक्रोश है, वहीं कई सामाजिक और महिला संगठनों ने राज्य सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं। सोशल मीडिया पर मामले को लेकर जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
विपक्षी दलों ने इसे "राज्य प्रायोजित विफलता" बताते हुए कोलकाता की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।
🛡️ कैंपस की सुरक्षा पर सवाल
घटना का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि यह अपराध शैक्षणिक संस्थान के अंदर घटित हुआ, जो युवाओं के लिए सबसे सुरक्षित स्थानों में गिना जाता है। इससे कॉलेज प्रशासन और राज्य पुलिस की लापरवाही साफ झलकती है।
अधिवक्ता राजपूत ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि—
यदि कॉलेज परिसर में ही छात्राएं सुरक्षित नहीं हैं, तो देश की शिक्षा व्यवस्था किस दिशा में जा रही है?
🔍 CBI जांच क्यों जरूरी?
पिछले कुछ वर्षों में पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में वृद्धि हुई है। ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई या राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जैसे स्वतंत्र निकायों की जरूरत महसूस की जाती है।
इस घटना के राजनीतिकरण या सबूतों के साथ छेड़छाड़ से बचने के लिए सीबीआई जांच आवश्यक मानी जा रही है।
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