राहुल गांधी की तस्वीर से छेड़छाड़ कर सैनेटरी पैड पर पोस्ट करने पर कॉमेडियन रतन के खिलाफ FIR

नई दिल्ली, 7 जुलाई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की छेड़छाड़ की गई तस्वीर को सैनेटरी पैड पर दर्शाते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के मामले में हास्य कलाकार रतन रंजन के खिलाफ गंभीर धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस मामले ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि महिलाओं की गरिमा और स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील मुद्दों को भी नए सिरे से चर्चा में ला दिया है।

युवा कांग्रेस अध्यक्ष की शिकायत पर मामला दर्ज

तेलंगाना युवा कांग्रेस के अध्यक्ष जे. शिव चरण रेड्डी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत में रतन रंजन और अन्य पर सोशल मीडिया के माध्यम से राहुल गांधी की छवि को जानबूझकर विकृत करने, अश्लीलता फैलाने और महिलाओं को अपमानित करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रेड्डी का कहना है कि यह हरकत न केवल राहुल गांधी को बदनाम करने की साजिश है, बल्कि यह पूरे देश की महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने जैसा है।

महिला स्वास्थ्य अभियान को किया बदनाम?

शिकायतकर्ता ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि हाल ही में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस द्वारा बिहार में गरीब महिलाओं को नि:शुल्क सैनेटरी पैड वितरित करने का अभियान चलाया गया था, जो महिलाओं में स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए था। रंजन की पोस्ट ने इस संवेदनशील अभियान को बदनाम करने का प्रयास किया है और महिला स्वास्थ्य को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों को और गहराया है।

IPC और IT एक्ट की धाराओं में दर्ज हुआ मामला

बेगम बाजार थाने के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि 6 जुलाई को रतन रंजन और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (IPC) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस ने बताया कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच तेज़ कर दी गई है और सोशल मीडिया पर वायरल हुई पोस्ट की तकनीकी जांच भी की जा रही है।

गलत सूचना के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग

शिव चरण रेड्डी ने कहा कि इस तरह की फर्जी, छेड़छाड़ की गई और अश्लील सामग्री को साझा करने वाले सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए अधिक जवाबदेह बनाया जाए।

यह मामला दिखाता है कि सोशल मीडिया पर फैलने वाली भ्रामक और अपमानजनक सामग्री कैसे न केवल किसी व्यक्ति की छवि बल्कि समाज के संवेदनशील वर्गों—खासकर महिलाओं—की गरिमा पर भी आघात पहुंचा सकती है। अब यह देखना होगा कि पुलिस की जांच किन निष्कर्षों पर पहुंचती है और क्या इस प्रकरण में कानून का शिकंजा उन लोगों पर कस पाता है जो डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग कर रहे हैं।

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