डब्ल्यूएचओ ने गुरुवार को कराधान पर आधारित अपनी महत्वाकांक्षी रणनीति "3 बाय 35" (3 by 35 Initiative) का अनावरण किया, जिसके तहत लोगों को इन हानिकारक उत्पादों के सेवन से हतोत्साहित करने के लिए उनकी कीमतों में इजाफा करने की नीति अपनाने की वकालत की गई है।
🧾 क्या है WHO की "3 बाय 35" पहल?
यह पहल तीन प्रमुख हानिकारक उत्पादों —
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मीठे शीतल पेय (sugar-sweetened beverages),
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तंबाकू उत्पाद,
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मादक पेय पदार्थ (शराब) —पर 50% से अधिक टैक्स लगाने का सुझाव देती है, जिससे इनके उपयोग में गिरावट आए और 2035 तक वैश्विक स्वास्थ्य सुधार को गति मिले।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, ये उत्पाद दुनिया भर में 75% से अधिक गैर-संचारी रोगों के लिए ज़िम्मेदार हैं, जो हर साल करोड़ों लोगों की जान ले रहे हैं।
⚠️ क्यों जरूरी है टैक्स बढ़ाना?
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तंबाकू, शराब और मीठे पेय पदार्थ NCDs जैसे हृदय रोग, कैंसर, स्ट्रोक और डायबिटीज के प्रमुख कारण हैं।
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इन बीमारियों के इलाज पर देशों को हर साल अरबों डॉलर का खर्च करना पड़ता है।
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टैक्स बढ़ाने से उपभोक्ताओं की पहुंच सीमित होगी और लोग इन उत्पादों को कम खरीदेंगे, जिससे बीमारी और मौतों में गिरावट आ सकती है।
💡 रिपोर्ट में भारत जैसे देशों पर ज़ोर
📊 WHO की रिपोर्ट के मुख्य तथ्य:
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तंबाकू पर कर बढ़ाने से कुछ देशों में उपयोग में 40% तक कमी आई।
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मीठे पेय पर टैक्स लागू करने से मोटापा और मधुमेह के मामलों में गिरावट देखी गई।
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शराब पर उच्च टैक्स लगाने से घातक लीवर रोगों और दुर्घटनाओं में कमी आई है।
🗣️ WHO की सिफारिशें:
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हर देश तंबाकू, शराब और मीठे पेयों पर टैक्स में कम से कम 50% की वृद्धि करे।
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राजस्व का उपयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में किया जाए।
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स्वास्थ्य चेतावनी और जनजागरूकता अभियान को टैक्स नीति के साथ जोड़ा जाए।
🌍 ग्लोबल हेल्थ के लिए बड़ा कदम
WHO की यह पहल वैश्विक स्तर पर एनसीडी के खिलाफ नीति आधारित हस्तक्षेपों को बढ़ावा देने की दिशा में एक निर्णायक कदम मानी जा रही है। यह न केवल जन स्वास्थ्य सुधारने का साधन है, बल्कि सरकारी संसाधनों को सशक्त करने का भी उपाय है।
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