‘डिजिटल रेप’ क्या है?
‘डिजिटल रेप’ शब्द ‘डिजिट’ और ‘रेप’ से मिलकर बना है, जहां ‘डिजिट’ का अर्थ उंगली, अंगूठा या पैर की उंगली से है। इस तरह के अपराध में आरोपी अंगुलियों या अंगूठे का इस्तेमाल करता है। इस मामले में चंडीदास ने तैराकी सिखाने के दौरान बच्ची के साथ इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया था।
स्कूल प्रबंधन पर गंभीर आरोप
घटना के बाद स्कूल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगे थे कि उसने मामले की जानकारी मिलने के बावजूद दो दिन तक इसे दबाने की कोशिश की। इतना ही नहीं, स्कूल ने बच्ची के माता-पिता पर मामले को रफा-दफा करने के लिए दबाव भी बनाया। अदालत ने स्कूल की इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए उसे भी सजा का भागीदार माना।
मामले का विवरण
विशेष लोक अभियोजक जेपी भाटी ने बताया कि चंडीदास, जो पश्चिम बंगाल का रहने वाला है, उस समय स्कूल के तरणताल में लाइफगार्ड के रूप में तैनात था। 2018 में सूरजपुर क्षेत्र के इस निजी स्कूल में उसने बच्ची के साथ डिजिटल रेप की वारदात को अंजाम दिया। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया।
अदालत का फैसला
दोनों पक्षों के वकीलों की जिरह के बाद जिला अदालत ने चंडीदास को दोषी करार दिया और उसे आजीवन कारावास के साथ 24,000 रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अलावा, अदालत ने स्कूल प्रबंधन की लापरवाही को गंभीर मानते हुए 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। यह राशि एक महीने के भीतर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय में जमा करनी होगी, जो पीड़ित बच्ची और उसके परिवार को प्रतिपूर्ति के रूप में दी जाएगी।
सामाजिक और कानूनी प्रभाव
इस फैसले को नोएडा और आसपास के क्षेत्रों में बच्चों की सुरक्षा और स्कूलों की जवाबदेही को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह मामला स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और लापरवाही बरतने वाले संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
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