15 अगस्त विशेष - आज़ादी का राज़ - नेताजी सुभाष
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| - मंजुला श्रीवास्तव |
आज़ादी नहीं मिली, भीख में
ना ही किसी उपहार में
राज़ छिपा है -
अजर - अमर नेताजी सुभाष के
आज़ाद हिंद सेना की वार में
याद करो -
घटनाक्रम इतिहास के
गहराई और विस्तार से
जब आज़ाद हिंद की फौज ने
लिया था लोहा, विदेशी सरकार से
दिखा पराक्रम - अद्भुत शौर्य
जीत कर - बड़ा भूभाग
रगड़वाई थी नाक
अत्याचारी विदेशी सरकार से
नियति के हाथों -
युद्ध बंदी बन कर भी
आज़ाद हिंद सेना ने
अमर - जीत दिलवाई थी
सहगल- ढिल्लों - शहनवाज़
लाल किले मुकदमे ने
भारत की जनता में
एकता की ऐसी लहर दौड़ायी थी
मुकदमे में जीत दर्ज करवा कर
विदेशी सरकार को
अपने ही शासन में
शिकस्त दिलवाई थी
आखरी कील -
अंग्रेज सरकार के ताबूत में
रॉयल इंडियन नेवी से ठुकवाई थी
बलाई चंद की दत्त की अगुवाई में
विद्रोह की आग सुलगवाई थी
फेंक कर -
यूनियन जैक जिन्होंने
स्वदेशी स्वाभिमान को
आसमान पर जगह दिलवाई थी
विद्रोह के समर्थन में -
मुंबई के सड़कों पर भी
सैकड़ो भारतीयों ने
आज़ादी के यज्ञ में
अपने प्राणों की
आहुति चढ़ाई थी
दिन पूरे हो चुके -
विदेशी सरकार के
इस बात की सूचना
हर कान तक पहुंचाई थी
समझौता कर लौटने की मजबूरी
अंग्रेजों को अच्छे से समझायी थी.
इस तरह -
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने
'रक्त के बदले -आज़ादी' के
अपने वचन की लाज़ निभाई थी
हार कर जितना किसे कहते हैं?
यह बात पूरे विश्व को समझायी थी
दोहरा रही हूं याद रखना -
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की
संगठित सशस्त्र क्रांति ने ही
हमारे भारत को आजादी दिलवाई थी
देश की जनता और
रॉयल इंडियन नेवी ने भी
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