घरों और मंदिरों में हुई विशेष पूजा-अर्चना
16 अगस्त को जन्माष्टमी के अवसर पर घर-घर में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमाएं स्थापित की गईं। भक्तों ने पूजा-अर्चना, रात्रि जागरण और भजनों की प्रस्तुति के साथ उत्सव मनाया। "नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की" की गूंज के साथ भगवान का अभिषेक किया गया। नगर के पुराने राम मंदिर और नए राम मंदिर में आकर्षक झूलों की सजावट की गई, जहां भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मंदिरों में भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण भी किया गया।
भजन-कीर्तन से गूंजा नगर
रात्रि में जगह-जगह भजन मंडलियों ने भक्ति भजनों और कीर्तन के माध्यम से भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जोड़ा। भक्ति भाव से ओतप्रोत इन आयोजनों ने जन्माष्टमी के उत्सव को और भी भव्य बना दिया। नगर और आसपास के क्षेत्रों में भक्तों ने रात भर भजनों में डूबकर उत्सव का आनंद लिया।
शोभायात्रा और प्रतिमा विसर्जन
18 अगस्त की संध्या को लांजी नगर में बाजे-गाजे और डीजे की धुनों के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा में भक्तों ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमाओं को गणेशी तालाब में विधि-विधान से विसर्जित किया। विसर्जन से पहले सामूहिक आरती और पूजन किया गया, जिसमें सभी के मंगलमय जीवन की कामना की गई।
इसी तरह, क्षेत्र के विभिन्न गांवों में भी तालाबों, नदियों और नहरों में देर शाम तक शांतिपूर्ण तरीके से प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। यह आयोजन पूरे क्षेत्र में शांति और भक्ति के माहौल में संपन्न हुआ।
जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव है, जो भक्तों के लिए आस्था और भक्ति का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक परंपराओं को भी मजबूत करता है। लांजी और आसपास के क्षेत्रों में इस पर्व ने समुदाय को एकजुट कर भक्ति और उत्साह का संदेश दिया।
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