शिबू सोरेन के निधन के साथ ही उस युग का अंत हो गया, जिसने आदिवासी अस्मिता और झारखंड राज्य के गठन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनके नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जल, जंगल, और जमीन के अधिकारों के लिए ऐतिहासिक संघर्ष किया, जिसने लाखों आदिवासियों और वंचितों को आवाज दी।
लंबे समय से चल रहा था इलाज
शिबू सोरेन गुर्दे की बीमारी से जूझ रहे थे और पिछले एक महीने से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती थे। उनकी देखरेख नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. ए.के. भल्ला कर रहे थे। डॉ. भल्ला ने बताया कि सोरेन को डेढ़ महीने पहले दौरा पड़ा था, जिसके बाद से वह जीवन रक्षक प्रणाली पर थे। सोमवार सुबह 8:56 बजे उन्हें मृत घोषित किया गया।
अस्पताल ने अपने बयान में कहा, “हमारी बहु-विषयक चिकित्सा टीम के अथक प्रयासों के बावजूद, शिबू सोरेन का 4 अगस्त 2025 को निधन हो गया। उनके अंतिम समय में उनका परिवार उनके साथ था। हम इस दुख की घड़ी में उनके परिवार, प्रियजनों और झारखंड के लोगों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।”
नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
शिबू सोरेन के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, और कई अन्य नेताओं ने शोक व्यक्त किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, “शिबू सोरेन जी का निधन सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति है। उन्होंने आदिवासी पहचान और झारखंड राज्य के गठन के लिए अभूतपूर्व संघर्ष किया। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, “शिबू सोरेन जी एक जमीनी नेता थे, जिन्होंने जनजातीय समुदायों और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। मैंने उनके पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी से बात कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। ओम शांति।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “शिबू सोरेन ने अलग झारखंड और आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए आजीवन संघर्ष किया। मैंने हेमंत सोरेन जी से बात कर उन्हें ढांढस बंधाया।”
राहुल गांधी ने लिखा, “आदिवासी समाज की मजबूत आवाज बनकर सोरेन जी ने उनके अधिकारों के लिए संघर्ष किया। झारखंड के निर्माण में उनकी भूमिका अविस्मरणीय है।”
झारखंड में तीन दिन का राजकीय शोक
झारखंड सरकार ने शिबू सोरेन के सम्मान में 4 से 6 अगस्त तक तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं, और राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र भी उनके निधन के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने कहा, “दिशोम गुरु का निधन न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है।”
शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर
शिबू सोरेन ने 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की और 38 वर्षों तक इसके संरक्षक रहे। उन्होंने तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सांसद के रूप में भी अपनी छाप छोड़ी। वन अधिकार अधिनियम, 2006 और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही।
उनके नेतृत्व में झामुमो ने आदिवासियों, दलितों और गरीबों के हक के लिए संघर्ष किया। झारखंड के गठन में उनकी निर्णायक भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

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