ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर लिखा, “भारत न केवल रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है, बल्कि उस तेल का बड़ा हिस्सा खुले बाजार में ऊंचे दामों पर बेचकर भारी मुनाफा कमा रहा है। उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं कि यूक्रेन में रूस की युद्ध मशीन कितने लोगों की जान ले रही है।” उन्होंने कहा, “इसी वजह से मैं भारत से अमेरिका को दिए जाने वाले शुल्क को काफी हद तक बढ़ाने जा रहा हूं।”
ट्रंप की पहले की चेतावनी
पिछले हफ्ते ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर 25 प्रतिशत टैरिफ और रूस से तेल व हथियार खरीदने के लिए अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि रूस 8 अगस्त तक यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए शांति समझौते पर सहमत नहीं होता, तो रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 100 प्रतिशत तक शुल्क लगाया जा सकता है।
भारत की स्थिति और जवाब
भारत सरकार ने ट्रंप के आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि उसकी तेल खरीद नीति राष्ट्रीय हितों और बाजार की स्थितियों पर आधारित है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमारी ऊर्जा खरीद बाजार में उपलब्धता और वैश्विक परिस्थितियों पर निर्भर करती है। भारत और रूस के बीच स्थिर और समय-परीक्षित साझेदारी है।”
रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो देश की कुल तेल खपत का लगभग 35-40% हिस्सा प्रदान करता है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत ने रूस से सस्ते दामों पर तेल आयात में भारी वृद्धि की है, जिससे उसका तेल आयात बिल 2021-22 में 2.5 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 140 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
विशेषज्ञों की राय
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की यह धमकी भारत-अमेरिका संबंधों को तनावपूर्ण बना सकती है। बेंगलुरु स्थित तक्षशिला इंस्टीट्यूशन के अर्थशास्त्र प्रोफेसर अनुपम मनुर ने कहा, “ट्रंप की टैरिफ नीति से भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक संबंधों को नुकसान पहुंच सकता है।”
वहीं, कुछ विशेषज्ञ इसे ट्रंप की रणनीति का हिस्सा मानते हैं। बीसीए रिसर्च के भू-राजनीतिक रणनीतिकार मैट गर्टकेन ने कहा, “ट्रंप की धमकी एक सौदेबाजी की रणनीति हो सकती है, जिसका मकसद भारत को व्यापार समझौते के लिए दबाव में लाना है।”
भारत की ऊर्जा रणनीति
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है, जो अपनी 85% से अधिक तेल आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर है। रूस से सस्ते तेल ने भारत को वैश्विक तेल कीमतों को नियंत्रित करने और अपने नागरिकों को ऊर्जा लागत से बचाने में मदद की है। तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “हमें कोई चिंता नहीं है। अगर कुछ होता है, तो हम उससे निपट लेंगे।”
हालांकि, कुछ भारतीय रिफाइनरियों ने रूसी तेल की स्पॉट मार्केट खरीद को हाल ही में कम किया है, लेकिन दीर्घकालिक अनुबंधों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

إرسال تعليق