ट्रंप की अनभिज्ञता उजागर: रूस से आयात पर भारत ने दिखाया आइना, अमेरिकी राष्ट्रपति बैकफुट पर

न्यूयॉर्क/वाशिंगटन, 6 अगस्त 2025। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं। भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा अमेरिका और यूरोपीय संघ के रूस के साथ व्यापार पर सवाल उठाने के बाद ट्रंप ने दावा किया कि उन्हें अमेरिका के रूस से यूरेनियम, उर्वरक, और रसायनों के आयात की कोई जानकारी नहीं है। इस बयान ने वैश्विक व्यापार में अमेरिका के दोहरे मापदंडों पर बहस छेड़ दी है।


ट्रंप की प्रतिक्रिया और अनभिज्ञता

मंगलवार को व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने कहा, "मुझे इसके बारे में कुछ भी नहीं पता। हमें इसकी जांच करनी होगी।" यह जवाब भारत के उस बयान के जवाब में था, जिसमें भारत ने रूस से तेल खरीद पर अमेरिका की आलोचना को "अनुचित और दोहरे मापदंड" वाला बताया था। ट्रंप ने यह भी कहा कि वह जल्द ही रूसी ऊर्जा खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाने का फैसला करेंगे, हालांकि उन्होंने 100 प्रतिशत टैरिफ की बात से इनकार किया।

भारत का कड़ा रुख

भारत के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा भारत को रूस से तेल खरीद के लिए निशाना बनाना अनुचित है, क्योंकि दोनों ही रूस के साथ व्यापार जारी रखे हुए हैं। बयान में बताया गया कि अमेरिका रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, पैलेडियम, उर्वरक, और रसायनों का आयात करता है, जबकि यूरोप का रूस के साथ 2024 में 67.5 बिलियन यूरो का व्यापार हुआ, जिसमें 16.5 मिलियन टन LNG शामिल है।

विदेश मंत्रालय ने यह भी जोड़ा, "भारत ने रूस से तेल आयात तब शुरू किया जब यूक्रेन संकट के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी। उस समय अमेरिका ने ही भारत को वैश्विक ऊर्जा बाजारों की स्थिरता के लिए रूस से आयात करने के लिए प्रोत्साहित किया था।" भारत ने अपनी ऊर्जा खरीद को 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक जरूरतों से जोड़ा, जिसे वैश्विक बाजार की स्थिति द्वारा मजबूर किया गया है।

टैरिफ का प्रभाव और भारत का जवाब

ट्रंप ने 30 जुलाई को भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की थी और 6 अगस्त को अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ का कार्यकारी आदेश जारी किया, जिससे कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया। यह शुल्क 7 अगस्त से प्रभावी होगा, जबकि अतिरिक्त शुल्क 27 अगस्त से लागू होगा। भारत ने इस कदम को "अनुचित" करार देते हुए कहा कि वह अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर भी इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। एक यूजर ने लिखा, "भारत अपने राष्ट्रीय हितों में निर्णय लेगा, किसी की धमकी में नहीं। रूसी तेल खरीद से सस्ता ईंधन और आर्थिक मजबूती मिलती है।"

वैश्विक व्यापार पर असर

2024 में भारत ने अमेरिका को 87.4 अरब डॉलर के सामान निर्यात किए, जिसमें फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र, और रत्न-आभूषण प्रमुख थे। इस टैरिफ से भारत के लगभग 64 अरब डॉलर के निर्यात पर असर पड़ सकता है, जिससे निर्यातकों को 30-35% की प्रतिस्पर्धी हानि हो सकती है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि भारत को जवाबी कार्रवाई से बचते हुए कूटनीतिक बातचीत पर ध्यान देना चाहिए। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर अगली बैठक 25 अगस्त को नई दिल्ली में प्रस्तावित है।

ट्रंप की अनभिज्ञता और भारत के तीखे जवाब ने वैश्विक व्यापार में नैतिकता और रणनीति की बहस को तेज कर दिया है।

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✍️ संपादक: दयाल चंद यादव (MCJ)
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