मध्य प्रदेश में किसानों का गुस्सा अब उबाल पर, गोंडवाना सामुदायिक भवन में हुई अहम बैठक

लांजी, बालाघाट, 31 अगस्त 2025 - मध्य प्रदेश में किसानों का गुस्सा अब उबाल पर है। खराब गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक की बढ़ती कीमतें, और फसलों के लिए उचित समर्थन मूल्य (MSP) न मिलने से किसान कर्ज के बोझ तले दब रहे हैं। सरकार द्वारा चुनावी वादों को पूरा न करने से नाराज किसानों ने अब आंदोलन का रास्ता अपनाया है। इस मुद्दे पर लांजी, बालाघाट में गोंडवाना सामुदायिक भवन में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता जिला पंचायत सदस्य श्रीमती ज्योति उमरे ने की।


सरकार का वादा: 3100 रुपये MSP, पर हकीकत में ठगी

ज्योति उमरे ने बैठक में कहा, “सरकार ने धान के लिए 3100 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य देने का वादा किया था, लेकिन यह वादा केवल चुनावी जुमला बनकर रह गया। पांच साल का कार्यकाल पूरा होने तक क्या किसान इंतजार करें? यह सरकार द्वारा अन्नदाताओं का अपमान है।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों को उनके हक से वंचित कर रही है। उमरे ने चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो किसान उग्र आंदोलन करेंगे और अपने अधिकारों के लिए अंत तक लड़ेंगे।

किसानों की समस्याएं: बीज, उर्वरक और लागत का बोझ

किसानों का कहना है कि खराब गुणवत्ता वाले बीज उनकी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जबकि यूरिया जैसे उर्वरकों की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसके बावजूद, फसलों का उचित दाम नहीं मिल रहा, जिससे किसान आर्थिक संकट में हैं। सरकार के वादों, जैसे स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना और MSP की कानूनी गारंटी, पर कोई प्रगति नहीं हुई।

बैठक में उठी आवाज: किसानों का हक दिलाने का संकल्प

गोंडवाना सामुदायिक भवन में आयोजित इस बैठक में किसानों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की। ज्योति उमरे ने कहा, “किसान अब भीख नहीं मांगेंगे, बल्कि अपने हक के लिए संघर्ष करेंगे।” बैठक में उपस्थित जनप्रतिनिधियों और किसानों ने सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरकों की कीमतों में कमी, और MSP की गारंटी शामिल है।

प्रमुख उपस्थितियां

बैठक में जनपद सभापति दिनेश लाड़े, मोहझरी उप सरपंच रीता रावते, मांझी सरकार लांजी अध्यक्ष होमेश्वर घोरमारे, जनपद सदस्य टूमनलाल घोरमारे, खेमराज मछीरके, सिद्धार्थ गजभिए, बाबा राहंगडाले, मानिक पांचे, विजय लिल्हारे, मुकेश रणदीव, शरद आसटकर, युवराज पटले, प्रभुदयाल किरमें, जितेंद्र मोरघड़े, गणेश बागड़े, श्यामलाल बेंद्रे, ललित कबीरे, यदोराव कालबेले सहित बड़ी संख्या में किसान शामिल थे।

क्या है मांग?

  • उच्च गुणवत्ता वाले बीज: किसानों को सस्ते और गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराए जाएं।

  • उर्वरक की कीमतों में कमी: यूरिया और अन्य उर्वरकों की कीमतें नियंत्रित की जाएं।

  • MSP की कानूनी गारंटी: धान और अन्य फसलों के लिए 3100 रुपये प्रति क्विंटल MSP लागू हो।

  • कर्ज माफी: कर्ज के बोझ तले दबे किसानों के लिए तत्काल राहत पैकेज।

आगे का रास्ता

किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं करती, तो वे सड़कों पर उतरकर बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे। यह बैठक मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन की नई शुरुआत का संकेत दे रही है।

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