सुप्रीम कोर्ट आवारा कुत्तों से संबंधित याचिका पर करेगा पुनर्विचार: डॉग लवर्स के लिए राहत की खबर

नई दिल्ली, 14 अगस्त 2025। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों से संबंधित एक महत्वपूर्ण याचिका पर तत्काल सुनवाई का आश्वासन दिया है। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने बुधवार को ‘कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया)’ की याचिका का उल्लेख स्वीकार करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर गौर किया जाएगा। यह खबर उन लोगों के लिए राहत लेकर आई है जो आवारा कुत्तों के कल्याण और प्रबंधन के लिए बेहतर उपाय चाहते हैं।


सुप्रीम कोर्ट का रुख

प्रधान न्यायाधीश ने बताया कि एक अन्य पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन शामिल थे, ने सोमवार को आवारा कुत्तों से संबंधित एक आदेश पारित किया था। इस आदेश में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं को ‘बेहद गंभीर’ स्थिति करार देते हुए दिल्ली-एनसीआर में सभी आवारा कुत्तों को ‘शीघ्र अति शीघ्र’ आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था। इसके अलावा, मई 2024 में न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की पीठ ने आवारा कुत्तों से संबंधित याचिकाओं को उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।

याचिका में क्या है मांग?

‘कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया)’ की याचिका में दावा किया गया है कि पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 का पालन नहीं हो रहा है। इन नियमों में आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए नियमित बधियाकरण और टीकाकरण कार्यक्रम अनिवार्य हैं। याचिका में इन नियमों को सख्ती से लागू करने की मांग की गई है ताकि आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान हो सके।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के अधिकारियों को 6 से 8 सप्ताह के भीतर लगभग 5,000 कुत्तों के लिए आश्रय स्थल बनाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के काम में बाधा डालेगा, तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी। साथ ही, कोर्ट ने कहा कि समय के साथ आश्रय स्थलों की संख्या बढ़ानी होगी ताकि कुत्तों के कल्याण को सुनिश्चित किया जा सके।

आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान

आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके काटने की घटनाएं देश भर में चिंता का विषय बनी हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम न केवल पशु कल्याण को बढ़ावा देगा, बल्कि मानव-पशु संघर्ष को कम करने में भी मदद करेगा। इस मामले में अगली सुनवाई और कोर्ट के फैसले पर सभी की नजरें टिकी हैं।

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