लांजी, बालाघाट | 24 अगस्त 2025। नगर परिषद लांजी में एक बार फिर सियासी घमासान मचा हुआ है। अध्यक्ष रेखा कालबेले के खिलाफ 12 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर पार्टी संगठन में भूचाल ला दिया है। यह पहली बार नहीं है जब लांजी नगर परिषद में अध्यक्ष और पार्षदों के बीच तनातनी देखने को मिली हो। इतिहास गवाह है कि यहां हर कार्यकाल में इसी तरह की खाई गहराती रही है। पूर्व में अध्यक्ष वनिता युगेश रामटेक्कर और मीरा 'आई' समरीते के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव सामने आ चुके हैं, और अब रेखा कालबेले इस सियासी आंधी का सामना कर रही हैं।
पार्टी में फूट, बगावत का झंडा
नगर परिषद लांजी में हालात युद्ध जैसे हो गए हैं। कभी अध्यक्ष रेखा कालबेले के सारथी रहे पार्षद अब उनके खिलाफ खड़े हो गए हैं। अविश्वास प्रस्ताव ने भाजपा संगठन में गहरी दरार पैदा कर दी है। वरिष्ठ नेताओं के सामने दुविधा है कि वे पार्षदों का साथ दें या अध्यक्ष का। इस सवाल ने पार्टी नेतृत्व को असमंजस में डाल दिया है।
नाराज पार्षदों ने साफ कर दिया है कि वे मान-मनौव्वल के मूड में नहीं हैं और अध्यक्ष से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। उनकी जिद ने क्षेत्रीय विधायक राजकुमार कर्राहे के सामंजस्य बिठाने के प्रयासों को भी कमजोर कर दिया है।
विधायक का बयान, समाधान की कोशिश
एक दिन पहले विधायक राजकुमार कर्राहे ने बयान जारी कर कहा कि भाजपा संगठन एक मजबूत कड़ी है और परिषद की सत्ता पर कोई संकट नहीं आएगा। उन्होंने बताया कि पार्षदों की शिकायतों को समय-समय पर सुना गया है और समाधान के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जिलाध्यक्ष रामकिशोर कावरे, सांसद भारती पारधी और अन्य वरिष्ठ नेता परिषद की स्थिरता बनाए रखने के लिए जुटे हैं। कर्राहे ने विश्वास जताया कि अध्यक्ष और पार्षदों के बीच जल्द ही सामंजस्य स्थापित हो जाएगा।
जनता में सवाल, क्यों बार-बार टकराव?
नगरवासियों के बीच इस सियासी उथल-पुथल ने कई सवाल खड़े किए हैं। आखिर ऐसा क्या होता है कि लांजी नगर परिषद के हर कार्यकाल में अध्यक्ष और पार्षदों के बीच तनाव चरम पर पहुंच जाता है? जनचर्चा में यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा का कमल खिलने के बाद उसे सींचने वाले ही उसे उखाड़ने में जुट जाते हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह सत्ता की लड़ाई है या फिर प्रशासनिक कार्यशैली में खामियां?
अविश्वास प्रस्ताव का इतिहास
लांजी नगर परिषद का इतिहास बताता है कि अविश्वास प्रस्ताव यहां कोई नई बात नहीं है। वनिता युगेश रामटेक्कर और मीरा 'आई' समरीते के कार्यकाल में भी पार्षदों ने इसी तरह बगावत का बिगुल फूंका था। अब रेखा कालबेले के खिलाफ 12 पार्षदों का अविश्वास प्रस्ताव न केवल उनकी कुर्सी के लिए खतरा है, बल्कि भाजपा संगठन की एकजुटता पर भी सवाल उठा रहा है।
आगे क्या?
पार्षदों की जिद और अध्यक्ष की कुर्सी बचाने की जद्दोजहद के बीच लांजी नगर परिषद का सियासी ड्रामा चरम पर है। क्या विधायक और वरिष्ठ नेताओं के प्रयास रंग लाएंगे, या फिर यह टकराव और गहराएगा? आने वाले दिन इस सवाल का जवाब देंगे। फिलहाल, लांजी की जनता इस सियासी नाटक को देख रही है, और नगर परिषद के भविष्य को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
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