पटना (सदर) के अनुमंडल अधिकारी और दीघा विधानसभा क्षेत्र के मतदाता पंजीयन अधिकारी (ईआरओ) ने बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को इस संबंध में एक नया पत्र जारी किया। यह पत्र पिछले सप्ताह के उस पत्र का अनुवर्ती है, जिसमें तेजस्वी से उस मतदाता पहचान पत्र को जांच के लिए सौंपने का आग्रह किया गया था, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया था कि वह उनके पास है, लेकिन जिसे आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया गया।
नवीनतम पत्र में ईआरओ ने स्पष्ट किया कि पिछले कई वर्षों की मतदाता सूची की जांच से यह निष्कर्ष निकला है कि तेजस्वी द्वारा उद्धृत ईपीआईसी नंबर (RAB2916120) वाला मतदाता पहचान पत्र निर्वाचन आयोग द्वारा कभी जारी नहीं किया गया। पत्र में कहा गया, “ऐसा प्रतीत होता है कि उपरोक्त ईपीआईसी फर्जी है। जाली सरकारी दस्तावेज बनाना और उसका उपयोग करना कानून की नजर में अपराध है। आपसे पुनः अनुरोध है कि आप अपना स्पष्ट रूप से फर्जी मतदाता पहचान पत्र 16 अगस्त 2025 को शाम 5 बजे तक जमा कर दें।”
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब तेजस्वी यादव ने 2 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि उनके ईपीआईसी नंबर (RAB2916120) के साथ मतदाता सूची में उनका नाम नहीं है। हालांकि, पटना जिला प्रशासन ने इस दावे को खारिज करते हुए बताया कि उनका नाम मतदाता सूची में serial number 416, polling station 204 (बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी) में ईपीआईसी नंबर RAB0456228 के साथ दर्ज है। बाद में तेजस्वी ने स्वीकार किया कि उनके पास आधिकारिक ईपीआईसी नंबर वाला मतदाता पहचान पत्र भी है, लेकिन उन्होंने दो ईपीआईसी नंबर जारी होने की जिम्मेदारी आयोग पर डाल दी।
भाजपा ने इस मामले को लेकर तेजस्वी पर निशाना साधा और इसे “चुनाव आयोग को बदनाम करने की साजिश” करार दिया। वहीं, राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने आरोप लगाया कि यह मामला विपक्ष के सवालों से ध्यान भटकाने की कोशिश है।
यह मामला बिहार की राजनीति में एक बड़ा विवाद बन चुका है, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

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