बौद्ध अनुयायियों ने लांजी नगर में निकाली धम्म मशाल रैली, बीटी एक्ट 1949 रद्द करने की मांग

लांजी, बालाघाट, 07 सितंबर 2025 – लांजी नगर के सालेटेकरी रोड स्थित गोंडवाना भवन से बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने एक विशाल धम्म मशाल रैली निकाली, जिसमें बोधगया मंदिर अधिनियम 1949 (बीटी एक्ट) को रद्द करने और महाबोधि महाविहार का प्रबंधन पूरी तरह से बौद्ध समुदाय को सौंपने की मांग की गई। यह रैली दखनीटोला के बौद्ध विहार पर समाप्त हुई। अखिल भारतीय बौद्ध मंच और अन्य बौद्ध संगठनों द्वारा आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में बौद्ध भिक्षु और अनुयायी बड़ी संख्या में शामिल हुए, जो कड़ी धूप में अपनी मांगों को लेकर नारे लगाते हुए चल रहे थे।


मांग: बीटी एक्ट 1949 रद्द करो, महाबोधि महाविहार मुक्त करो

रैली के बाद मीडिया से बातचीत में बौद्ध अनुयायियों ने कहा कि महाबोधि महाविहार, जो भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति का पवित्र स्थल है, इसका प्रबंधन और नियंत्रण पूरी तरह से बौद्ध समुदाय को सौंपा जाना चाहिए। उनका कहना है कि बीटी एक्ट 1949 के तहत गठित बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (BTMC) में गैर-बौद्ध सदस्यों, विशेष रूप से हिंदुओं की मौजूदगी, बौद्ध समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करती है और उनकी पवित्र विरासत का अपमान करती है। यह आंदोलन 19वीं शताब्दी के बौद्ध आंदोलनकारियों की मांगों से प्रेरित है, जो अपनी धार्मिक स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे।

संजय खोब्रागढ़े: मंदिर पर बौद्धों का नियंत्रण जरूरी

बालाघाट जिला बौद्ध संघ के जिला अध्यक्ष और अधिवक्ता संजय खोब्रागढ़े ने कहा, "महाबोधि मंदिर बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र स्थल है। इसके प्रबंधन पर बौद्धों का पूर्ण नियंत्रण न होना धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है। यह मंदिर भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति से जुड़ा है, और इसका प्रबंधन केवल बौद्ध समुदाय के पास होना चाहिए।" उन्होंने बताया कि अंग्रेजी शासनकाल में स्वतंत्रता आंदोलन को प्राथमिकता दी गई, जिसके कारण इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन अब हिंदू हस्तक्षेप के कारण यह मुद्दा फिर से उठाया गया है। खोब्रागढ़े ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन 12 फरवरी 2025 से देश-विदेश में जारी है, जिसमें बिहार, अरुणाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में बौद्ध अनुयायी और भिक्षु भाग ले रहे हैं। यह धम्म मशाल रैली बाबासाहेब आम्बेडकर की जन्मस्थली से शुरू होकर दीक्षाभूमि, नागपुर तक जाएगी, और आज यह लांजी की पावन धरती पर पहुंची।

बौद्ध समुदाय ने दिखाई एकता

इस रैली में बौद्ध समुदाय ने अपनी एकता और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया। विभिन्न बौद्ध संगठनों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया और इसमें सक्रिय रूप से भाग लिया। समुदाय ने सरकार से मांग की है कि बीटी एक्ट 1949 को तत्काल रद्द किया जाए और महाबोधि महाविहार का प्रबंधन बौद्ध समुदाय को सौंपा जाए। इसके साथ ही, सरकार से बौद्ध समुदाय के धार्मिक अधिकारों और उनकी पवित्र विरासत के सम्मान की भी मांग की गई है।

आंदोलन को देश-विदेश से समर्थन

यह आंदोलन केवल लांजी या बालाघाट तक सीमित नहीं है। देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से भी बौद्ध समुदाय इस मुक्ति आंदोलन का समर्थन कर रहा है। बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों का कहना है कि बीटी एक्ट 1949 असंवैधानिक है और यह बौद्ध समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

Post a Comment

और नया पुराने