पंजाब में बाढ़ का कहर: सभी 23 जिले प्रभावित, आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू, 30 की मौत

चंडीगढ़, 02 सितम्बर 2025। पंजाब में बाढ़ ने सभी 23 जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है, जिसके चलते राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत आपातकालीन प्रतिक्रिया सक्रिय कर दी है। सतलुज, ब्यास, और रावी जैसी प्रमुख नदियों का उफान, बांधों से नियंत्रित जल निकासी, और लगातार बारिश ने पंजाब में अभूतपूर्व बाढ़ संकट पैदा कर दिया है। सोमवार तक 12 जिले प्रभावित थे, लेकिन मंगलवार को हुई मूसलाधार बारिश ने स्थिति को और गंभीर बना दिया, जिससे सभी 23 जिले अब बाढ़ की चपेट में हैं।


आपातकालीन प्रतिक्रिया और प्रशासनिक कदम

मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने मंगलवार रात एक आदेश जारी कर सभी उपायुक्तों को किसी भी आपदा स्थिति में तत्काल कार्रवाई करने का अधिकार दिया है। लोक निर्माण, जल संसाधन, और बिजली विभागों को युद्धस्तर पर मरम्मत कार्य शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। दूरसंचार ऑपरेटरों को मोबाइल और लैंडलाइन कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने की हिदायत दी गई है। प्रशासन ने लोगों से अनावश्यक यात्रा से बचने, छतों पर पानी जमा न होने देने, और जर्जर इमारतों की सूचना तुरंत देने की अपील की है ताकि जनहानि को रोका जा सके।

बाढ़ का कहर: 30 मौतें, लाखों प्रभावित

बाढ़ ने पंजाब में भारी तबाही मचाई है। अब तक बाढ़ से संबंधित 30 मौतें दर्ज की गई हैं, और 3,54,626 लोग प्रभावित हुए हैं। लगभग 1,400 गांव जलमग्न हो चुके हैं, और 19,600 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर निकाला गया है। चार लाख एकड़ से अधिक कृषि भूमि पर धान और कपास जैसी फसलें डूब गई हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। केंद्रीय टीमों ने अभी तक नुकसान का आकलन नहीं किया है, लेकिन प्रारंभिक अनुमान के अनुसार यह नुकसान अरबों रुपये में हो सकता है।

सबसे प्रभावित जिले और स्थिति

हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कैचमेंट क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के कारण सतलुज, ब्यास, रावी, और मौसमी नाले उफान पर हैं। पठानकोट, गुरदासपुर, फाजिल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, होशियारपुर, और अमृतसर जैसे जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

  • लुधियाना: सतलुज नदी से बैकफ्लो के कारण भट्टीआं सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रभावित हुआ है, जिसके चलते बहादुर के रोड, ताजपुर रोड, और मोटी नगर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में डाईंग यूनिट्स अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं। सीवर लाइनों के उफान से निचले इलाकों में जलभराव का खतरा बढ़ गया है।

  • कपूरथला: सुल्तानपुर लोधी में ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से 50,000 एकड़ से अधिक धान की फसलें डूब गई हैं। धुस्सी बांधों पर दबाव बढ़ रहा है, और लगातार बारिश ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।

  • फगवाड़ा: तेज बारिश से गौशाला रोड पर दुकानों में पानी घुस गया, जिससे व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है।

  • फिरोजपुर: उफनती सतलुज नदी ने 112 गांवों के 28,000 लोगों को प्रभावित किया है।

राहत और बचाव कार्य

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), भारतीय सेना, बीएसएफ, पंजाब पुलिस, और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में दिन-रात जुटे हुए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में 122 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां 6,582 लोग शरण ले रहे हैं। ड्रोन और नावों का उपयोग कर दवाइयां और खाद्य सामग्री दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंचाई जा रही है। खालसा एड जैसी स्वयंसेवी संस्थाएं भी गुरदासपुर, कपूरथला, और फिरोजपुर जैसे जिलों में राहत कार्य में सक्रिय हैं।

बारिश और बांधों ने बढ़ाई मुश्किलें

हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में ताजा बारिश ने पंजाब में बाढ़ संकट को और गहरा दिया है। भाखड़ा, पोंग, और रंजीत सागर जैसे बांधों से नियंत्रित जल निकासी ने नदियों के जलस्तर को और बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि नदियों और नालों की सिल्टिंग और धुस्सी बांधों की खराब स्थिति ने इस आपदा को और गंभीर बनाया है।

पंजाब में बाढ़ ने चार दशकों में सबसे भयावह स्थिति पैदा की है। किसानों को फसलों के नुकसान और आम लोगों को संपत्ति और आजीविका के नुकसान ने राज्य को गहरे संकट में डाल दिया है। प्रशासन के राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार को समन्वित और दीर्घकालिक उपाय करने की आवश्यकता है। लोगों से अपील है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और सुरक्षित स्थानों पर रहें।

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