55 साल की महिला ने दिया 17 वें बच्चे को जन्म

उदयपुर, 01 सितंबर 2025

राजस्थान के उदयपुर जिले के लीलावास गांव की 55 वर्षीय रेखा कालबेलिया ने अपने 17वें बच्चे को जन्म देकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। झाड़ोल प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इस प्रसव की खबर फैलते ही रिश्तेदार, पड़ोसी, और उत्सुक ग्रामीण नवजात और रेखा की झलक पाने के लिए अस्पताल उमड़ पड़े। इस असामान्य घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय में हलचल मचाई, बल्कि आदिवासी क्षेत्रों में परिवार नियोजन और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को भी उजागर किया।


"जब रेखा को भर्ती किया गया, तो परिवार ने बताया कि यह उनका चौथा बच्चा है। बाद में पता चला कि यह उनका 17वां प्रसव था। इतने प्रसवों के बाद गर्भाशय कमजोर हो जाता है, जिससे रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है। सौभाग्य से, सब कुछ ठीक रहा," स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रोशन दरांगी ने बताया।

रेखा का परिवार: तीन पीढ़ियों का संगम

रेखा कालबेलिया, जिनकी शादी कबाड़ बेचने वाले कवराराम कालबेलिया से हुई है, पिछले कई दशकों में 17 बार मां बन चुकी हैं। उनके पांच बच्चों—चार बेटों और एक बेटी—की जन्म के कुछ समय बाद मृत्यु हो गई, संभवतः कुपोषण के कारण। वर्तमान में उनके 12 बच्चे जीवित हैं, जिनमें सात बेटे और पांच बेटियां शामिल हैं। कवराराम ने बताया, "मेरे दो बेटों और तीन बेटियों की शादी हो चुकी है, और प्रत्येक के दो-तीन बच्चे हैं।" यानी रेखा न केवल अपने नवजात की देखभाल कर रही हैं, बल्कि वह कई पोते-पोतियों की दादी भी हैं।

गरीबी और शिक्षा की कमी की चुनौतियां

कालबेलिया परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक है। कवराराम कबाड़ बेचकर परिवार का गुजारा चलाते हैं और बच्चों की शादियों के लिए 20% ब्याज पर कर्ज लेना पड़ा। उन्होंने बताया, "हमारे पास अपना घर नहीं है, और लाखों रुपये का कर्ज चुकाने के बाद भी ब्याज का बोझ बाकी है।" परिवार के किसी भी सदस्य ने स्कूल का मुंह नहीं देखा, जो शिक्षा की कमी को दर्शाता है। रेखा की बेटी शीला कालबेलिया ने कहा, "हमने बहुत कठिनाइयों का सामना किया है। लोग हैरान हैं कि मेरी मां के इतने बच्चे हैं।"

चिकित्सकीय चुनौतियां और सरकारी योजनाएं

झाड़ोल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. धर्मेंद्र ने इस मामले को आदिवासी क्षेत्रों की चुनौतियों का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, "यह खानाबदोश परिवार ज्यादा समय तक एक जगह नहीं टिकता। हम सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें पीएम आवास योजना जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ मिले।" डॉ. रोशन दरांगी ने बताया कि रेखा ने बिना किसी प्री-डिलीवरी टेस्ट के अस्पताल में प्रवेश लिया था, जिससे प्रसव जोखिम भरा था। अब डॉक्टर परिवार को नसबंदी के लिए परामर्श दे रहे हैं।

परिवार नियोजन पर उठे सवाल

रेखा के इस प्रसव ने राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों में परिवार नियोजन और स्वास्थ्य जागरूकता की कमी को उजागर किया है। राजस्थान स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की जांच शुरू की है ताकि उच्च प्रजनन दर और मातृ-शिशु स्वास्थ्य जोखिमों के कारणों का पता लगाया जा सके। विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, और जागरूकता की कमी ऐसे मामलों को बढ़ावा देती है। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं—कुछ लोग इसे रेखा की मजबूती की कहानी मानते हैं, तो कुछ इसे गरीबी और अशिक्षा का दुखद उदाहरण मानते हैं।

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