लांजी, बालाघाट 12 सितम्बर 2025। जिले में संचालित लोकसेवा केंद्रों पर अनियमितताओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए यहां बार-बार फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं। हाल ही में लांजी तहसील के लोकसेवा केंद्र से पांच जाति प्रमाणपत्रों की संदिग्ध प्रक्रिया का मामला पकड़ में आया था, जहां प्रथम दृष्टया केंद्र की ही त्रुटि मान ली गई। शिकायतों का ढेर विभागीय अधिकारियों, एसडीएम से लेकर जिला मुख्यालय तक पहुंच चुका, किंतु परिणाम शून्य रहा। अब एक और आर्थिक अनियमितता प्रकाश में आई है, जिसने शासन-प्रशासन की नींव हिला दी है।
वीजीएफ राशि पर अवैध चंगुल
आधार केंद्र स्थापित होने के बावजूद लोकसेवा केंद्र संचालक वर्षों से वीजीएफ (व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण) मद की राशि का गैरकानूनी दोहन कर रहे हैं। यह जालसाजी पूरे जिले में फैली हुई है। आंकड़ों की बाजीगरी कर केंद्र संचालक शासन को भ्रमित कर रहे हैं। प्रतिमाह 1200 से 1500 आधार कार्ड बनने के बावजूद, प्रशासन को कम संख्या दिखाई जाती है। जबकि सीसीटीवी फुटेज इस हकीकत का गवाह बन सकते हैं। इस फर्जीवाड़े के जरिए शासन को हर साल लाखों का आर्थिक झटका पहुंचाया जा रहा है।
अधिकारियों से गुप्त गठजोड़
जानकारी के अनुसार, लांजी, बालाघाट, बैहर और बिरसा के केंद्रों में साल भर आधार मशीनें चलती रहीं, फिर भी एमपीएसईडीसी (मध्य प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड) में जानबूझकर आधार डेटा वीजीएफ से नहीं जोड़ा गया। संचालकों ने अधिकारियों से गुप्त सांठगांठ कर वीजीएफ की राशि हड़पी और शासन को चूना लगाया। यह वित्तीय अनियमितता सीधे-सीधे नियमों की अवहेलना है।
जिलेभर में फैला घोटाला
बैहर, बालाघाट, बिरसा, कटंगी, खैरलांजी, लालबर्रा, लांजी, परसवाड़ा, वारासिवनी और तिरोड़ी के लोकसेवा केंद्रों पर यह खेल हो रहा है। हर जगह एक ही चाल – गलत सूचना देकर शासन को भरमाना और वीजीएफ की राशि बटोरना। यह संगठित आर्थिक अपराध पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर रहा है।
प्रशासनिक जिम्मेदारी
अब जिला प्रशासन पर यह दायित्व है कि ऐसे केंद्र संचालकों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाए। न केवल वीजीएफ की अवैध निकासी रोकी जाए, बल्कि धोखाधड़ी करने वाले संचालकों पर आपराधिक प्रकरण भी दर्ज हो। तभी शासन को राहत मिल सकती है और भविष्य में इस तरह की आर्थिक हेराफेरी पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
शिकायत पर कलेक्टर की प्रतिक्रिया
इस संबंध में कलेक्टर मृणाल मीना ने कहा –
शिकायतकर्ता सीधे कार्यालय आकर तथ्य प्रस्तुत करें। लिखित रूप में यदि शिकायत दी जाएगी तो जांच की प्रक्रिया शुरू करवाई जाएगी।
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