लांजी में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का खुलासा: ग्वालियर-भिंड के लोगों ने किया आवेदन, लोकसेवा केंद्र की भूमिका संदिग्ध

लांजी, बालाघाट, 4 सितंबर 2025 - लांजी एसडीएम कार्यालय में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जांच में पांच लोगों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के साथ अनुसूचित जाति और जनजाति के प्रमाण पत्र बनवाने का प्रयास उजागर हुआ है। खास बात यह है कि यह फर्जीवाड़ा एक वकील के माध्यम से किया जा रहा था, जिसके बाद एसडीएम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगा दी और जांच शुरू कर दी है। इस मामले में लोकसेवा केंद्र की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है, और जल्द ही अपराध दर्ज होने की संभावना है।


फर्जीवाड़े का खुलासा

लांजी के भानेगांव और घोटी नंदोरा ग्राम पंचायतों से पांच लोगों—मनीष कुमार (पिता बच्चू सिंह गोंड), राहुल सिंह (पिता नरोत्तम सिंह चमार), योगेश पाल (पिता प्रमोद पाल बैगा), अभिषेक (पिता विक्रम चम्हार), और मोनू सिंह (पिता वीरेंद्र सिंह बैगा)—ने जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। ये आवेदन एक वकील के माध्यम से लोकसेवा केंद्र के जरिए प्रस्तुत किए गए थे। जांच में पता चला कि आवेदकों द्वारा जमा किए गए दस्तावेज—आधार कार्ड, शैक्षणिक प्रमाण पत्र, समग्र आईडी, मूल निवासी प्रमाण पत्र, पटवारी का पंचनामा, सरपंच का प्रमाण पत्र, और भूमि खसरा—सभी फर्जी थे।

जांच में चौंकाने वाले तथ्य

एसडीएम कमलचंद सिंहसार की अगुवाई में हुई जांच में सामने आया कि आवेदकों ने भानेगांव और घोटी नंदोरा में निवास करने का दावा किया, लेकिन इन गांवों के सरपंचों—राम ठाकरें (भानेगांव) और श्रीचंद कामड़े (घोटी)—ने स्पष्ट किया कि उक्त नामों के कोई व्यक्ति उनके गांव में नहीं रहते। सरपंचों ने यह भी पुष्टि की कि उनके हस्ताक्षर और सील का दुरुपयोग कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। समग्र आईडी की जांच से पता चला कि ये आवेदक ग्वालियर और भिंड क्षेत्र के निवासी हैं।

लोकसेवा केंद्र पर सवाल

लोकसेवा केंद्र की भूमिका इस मामले में संदिग्ध पाई गई है, क्योंकि केंद्र को आवेदनों के दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच करनी होती है। एसडीएम कमलचंद सिंहसार ने कहा, "लोकसेवा केंद्र को दस्तावेजों की सत्यता की जांच करनी चाहिए थी। यह मामला गंभीर है, और इसकी गहन जांच की जा रही है। संभावना है कि इसके पीछे कोई बड़ा गिरोह काम कर रहा हो।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस तरह के फर्जीवाड़े की जांच अन्य क्षेत्रों में भी होनी चाहिए।

वकील का बचाव

आवेदन प्रस्तुत करने वाले वकील ने अपना बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने केवल आवेदन जमा किया था और फर्जी दस्तावेज तैयार करने में उनकी कोई भूमिका नहीं है। हालांकि, जांच में उनकी संलिप्तता की भी पड़ताल की जा रही है।

कार्रवाई की तैयारी

एसडीएम ने फर्जी प्रमाण पत्रों पर तत्काल रोक लगा दी है और मामले में प्रासंगिक धाराओं के तहत अपराध दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या अन्य स्थानों पर भी इस तरह के फर्जीवाड़े हो रहे हैं।

सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव

यह मामला फर्जी दस्तावेजों के जरिए सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग करने की गंभीर समस्या को उजागर करता है। इससे पहले भी मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों, जैसे ग्वालियर, भिंड, और इंदौर में फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के मामले सामने आ चुके हैं। यह घटना प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया को और सख्त करने की आवश्यकता है।

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