न्यूयॉर्क/नई दिल्ली, 21 सितंबर 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1B वीजा नीति में क्रांतिकारी बदलाव करते हुए शुक्रवार को एक एक्जीक्यूटिव प्रोक्लेमेशन पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत इस कुशल श्रमिक वीजा के लिए कंपनियों को सालाना 1,00,000 डॉलर (लगभग 84 लाख रुपये) का शुल्क चुकाना होगा। यह कदम अमेरिकी श्रम बाजार को 'अमेरिका फर्स्ट' बनाने की ट्रंप की नीति का हिस्सा है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर भारत जैसे देशों के आईटी प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा, जहां 70% से अधिक H1B वीजा भारतीयों को मिलते हैं।
ट्रंप प्रशासन का दावा है कि यह शुल्क 'असली टैलेंट' को आकर्षित करेगा और अमेरिकी नौकरियों की रक्षा करेगा, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सिलिकॉन वैली की कंपनियां और स्टार्टअप्स पर भारी बोझ पड़ेगा। व्हाइट हाउस के फैक्ट शीट के अनुसार, यह बदलाव 21 सितंबर 2025 से लागू हो जाएगा, जिससे मौजूदा वीजा धारकों को भी नवीनीकरण के समय यह फीस देनी पड़ेगी।
H1B वीजा शुल्क में 50 गुना वृद्धि: ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का नया अध्याय
H1B वीजा, जो मुख्य रूप से आईटी, इंजीनियरिंग और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों के उच्च कुशल विदेशी श्रमिकों के लिए होता है, अब पहले से कहीं ज्यादा महंगा हो गया है। पहले इसकी फीस मात्र 2,000 से 5,000 डॉलर तक सीमित थी, लेकिन नई नीति में सालाना 1 लाख डॉलर का बोझ कंपनियों पर डाला गया है। ट्रंप ने ओवल ऑफिस में साइनिंग के दौरान कहा, "हमें टैलेंटेड वर्कर्स चाहिए, बेस्ट वर्कर्स चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि केवल असाधारण लोग ही आएं।"
वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने स्पष्ट किया कि यह शुल्क अमेरिकी खजाने में 100 अरब डॉलर से अधिक की आमदनी लाएगा, जिसका इस्तेमाल टैक्स कटौती और कर्ज चुकाने में होगा। उन्होंने मौजूदा सिस्टम की आलोचना करते हुए कहा, "हम निचले स्तर के वर्कर्स को इंपोर्ट कर रहे थे, जो अमेरिकियों से कम कमाते हैं। अब केवल टॉप क्वालिटी ही आएंगे, जो जॉब्स क्रिएट करेंगे।"
ट्रंप प्रशासन के अनुसार, H1B प्रोग्राम में दुरुपयोग रोकने के लिए यह कदम जरूरी है। व्हाइट हाउस स्टाफ ने इसे "सबसे अधिक एब्यूज्ड वीजा प्रोग्राम" करार दिया, जो अमेरिकी वर्कफोर्स को प्रभावित करता है।
भारतीय प्रोफेशनल्स पर गहरा असर: 70% वीजा भारत से, कंपनियां परेशान
भारत से अमेरिका जाने वाले आईटी प्रोफेशनल्स के लिए यह खबर चिंताजनक है। यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) के आंकड़ों के मुताबिक, FY 2024 में जारी 85,000 H1B वीजा में से करीब 60,000 भारतीयों को मिले थे। नई फीस से TCS, Infosys, Wipro जैसी कंपनियां प्रभावित होंगी, जो सालाना हजारों कर्मचारियों को भेजती हैं।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे छोटे स्टार्टअप्स और मिड-साइज फर्म्स H1B पर निर्भर रहने से बचेंगी, जिससे भारतीय टैलेंट कनाडा या यूरोप जैसे देशों की ओर रुख कर सकता है। फ्रेगोमेन इमिग्रेशन लॉ फर्म के अनुसार, "यह फीस एंट्री को ब्लॉक कर देगी जब तक कंपनियां पेमेंट न करें।"
अमेरिकी सांसदों की कड़ी निंदा: 'टेक इंडस्ट्री को झटका, इनोवेशन रुकेगा'
अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप के इस फैसले को "अनरिजनेबल" और "डिसास्ट्रस" बताया है। इलिनोइस के डेमोक्रेटिक सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा, "यह हाई-स्किल्ड वर्कर्स को अमेरिका से दूर भगाने का प्रयास है, जिन्होंने हमारी इकोनॉमी को बूस्ट दिया है। जब चाइना और कनाडा टैलेंट अट्रैक्ट कर रहे हैं, हम बाधाएं खड़ी कर रहे हैं।"
एशियन-अमेरिकन लीडर अजय भुटोरिया ने चेतावनी दी कि सिलिकॉन वैली की कंपेटिटिव एज खतरे में है। "यह छोटे बिजनेस और स्टार्टअप्स को क्रश कर देगा, जहां H1B पर निर्भरता ज्यादा है। टैलेंट कहीं और चला जाएगा।"
फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज के खंडेराव कांद ने इसे "सॉफ्टवेयर और टेक इंडस्ट्री के लिए नेगेटिव इंपैक्ट" बताया।
भारत में सियासी बवाल: कांग्रेस ने मोदी पर साधा निशाना, 'ट्रंप दोस्ती महंगी'
भारत में इस फैसले ने राजनीतिक हंगामा मचा दिया है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'ट्रंप दोस्ती' पर हमला बोला। कर्नाटक विधायक प्रियांका खड़गे ने X पर पोस्ट किया, "मोदी-ट्रंप की दोस्ती भारत को महंगी पड़ रही है। 70% H1B वीजा भारतीयों के हैं, और यह शुल्क उन्हें सबसे ज्यादा हिट करेगा। 50% टैरिफ, HIRE एक्ट, चाबहार रिस्ट्रिक्शंस के बाद यह नया झटका। धन्यवाद मोदी जी!"
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, "मोदी की स्ट्रैटेजिक साइलेंस राष्ट्रीय हित के खिलाफ है। मनमोहन सिंह जैसे लीडर्स ने स्टैंड लिया था।" वहीं, पवन खेड़ा ने राहुल गांधी की पुरानी टिप्पणी दोहराई, "भारत अभी भी कमजोर PM के साथ फंसा है।"
बीजेपी ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन इंडस्ट्री लीडर्स NASSCOM के जरिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।
क्या होगा आगे? टेक जायंट्स पर असर, पॉसिबल लीगल चैलेंज
अमेजन, एप्पल और गूगल जैसी कंपनियां, जो H1B पर हेवी रिलायंस रखती हैं, अब रणनीति बदलने पर मजबूर होंगी। फोर्ब्स के अनुसार, "यह फीस टेक सेक्टर को रीशेप कर देगी।" लीगल एक्सपर्ट्स का कहना है कि ACLU या टेक लॉबिज जैसे ग्रुप्स कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं।
भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए सलाह: वीजा नवीनीकरण से पहले कंपनियों से बात करें। कनाडा के ग्लोबल टैलेंट स्ट्रीम या यूके के स्किल्ड वर्कर वीजा जैसे विकल्प तलाशें।

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