डिजीलॉकर: पेपरलेस, फेसलेस, कैशलेस प्रणाली को बढ़ावा देने वाला राष्ट्रीय वेबिनार जबलपुर में आयोजित

जबलपुर, 16 अक्टूबर 2025। शासकीय मानकुंवर बाई कला एवं वाणिज्य स्वशासी महिला महाविद्यालय, जबलपुर में आंतरिक गुणवत्ता आश्वस्ति प्रकोष्ठ और भूगोल विभाग के संयुक्त तत्वावधान में "युवाओं के लिए डिजीलॉकर और अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की उपयोगिता" विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. स्मृति शुक्ला ने की, जबकि मुख्य अतिथि प्रो. पंजाबराव चंदेलकर, एडिशनल डायरेक्टर, उच्च शिक्षा संभाग, जबलपुर रहे।


डिजीलॉकर और अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की उपयोगिता पर चर्चा

कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. ब्रह्मानंद त्रिपाठी ने डिजीलॉकर और अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) के महत्व पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ताओं में डॉ. रमाकांत भारद्वाज (प्राध्यापक, गणित विभाग, एमआईटी यूनिवर्सिटी, कोलकाता), डॉ. राम शंकर विद्यार्थी (सहायक प्राध्यापक, जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन, आईआईएमटी कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट, ग्रेटर नोएडा), डॉ. चंद्रशेखर राजहंस (प्राध्यापक, अंग्रेजी विभाग, शासकीय मानकुंवर बाई महाविद्यालय), और डॉ. ज्ञानेंद्र त्रिपाठी (प्राध्यापक, मैनेजमेंट एवं वाणिज्य विभाग, जी.एस. कॉमर्स कॉलेज, जबलपुर) शामिल थे।

वक्ताओं ने डिजीलॉकर को एक सुरक्षित डिजिटल प्लेटफॉर्म बताया, जो विद्यार्थियों की अंकसूची और महत्वपूर्ण दस्तावेजों को संरक्षित करने में मदद करता है। डॉ. रमाकांत भारद्वाज ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत डिजीलॉकर की भूमिका पर जोर देते हुए इसे शिक्षा प्रणाली में 34 वर्षों बाद आए सबसे बड़े सुधार का हिस्सा बताया। उन्होंने डिजीलॉकर की विशेषताओं, समस्याओं और समाधान पर भी चर्चा की।

डॉ. राम शंकर विद्यार्थी ने डिजीलॉकर को "पेपरलेस, फेसलेस, कैशलेस" प्रणाली के रूप में परिभाषित करते हुए इसके क्रेडिट वितरण मॉडल, मल्टीपल एंट्री-एग्जिट मॉडल, और उपयोगिता पर विस्तार से बताया। डॉ. चंद्रशेखर राजहंस ने एबीसी आईडी और डिजीलॉकर के बीच अंतर को स्पष्ट करते हुए इसे भारत सरकार का एक अभिनव प्रयास बताया। डॉ. ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने डिजीलॉकर और एबीसी आईडी की उपयोगिता पर विस्तृत व्याख्यान दिया।

विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक गतिशीलता

प्राचार्या डॉ. स्मृति शुक्ला ने कहा कि डिजीलॉकर और एबीसी आईडी विद्यार्थियों को शैक्षणिक गतिशीलता प्रदान करते हैं। यह प्रणाली विद्यार्थियों को अपने अर्जित क्रेडिट्स को ट्रैक करने और दस्तावेजों को सुरक्षित रखने की सुविधा देती है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों से डिजीलॉकर में रजिस्ट्रेशन कर इसका लाभ उठाने की अपील की।

वेबिनार का प्रभाव

वेबिनार में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से लगभग 215 प्राध्यापक और छात्र-छात्राएं शामिल हुए। छात्रा सृष्टि सोनी ने वेबिनार की प्रतिपुष्टि दी, जबकि डॉ. बसंती अग्रवाल ने इसके परिणामों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुनीता सोनी ने किया, और आभार प्रदर्शन डॉ. उषा कैली ने किया। तकनीकी सहायता में डॉ. नितिन पटेल, जितेंद्र अग्रहरि, अरुण शर्मा, टीकाराम कुशवाहा और लक्ष्मी राजपूत ने योगदान दिया।

डिजीलॉकर: एक डिजिटल क्रांति

डिजीलॉकर भारत सरकार की एक पहल है, जो कागजी दस्तावेजों को डिजिटल रूप में संग्रहीत करने की सुविधा प्रदान करता है। यह प्रणाली न केवल समय और संसाधनों की बचत करती है, बल्कि पारदर्शिता और सुगमता को भी बढ़ावा देती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के साथ डिजीलॉकर का एकीकरण विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक अवसरों को और सुलभ बनाता है।

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