सड़कें खामोश होंगी तो संसद आवारा हो जाएगी: डॉ. राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर जबलपुर में श्रद्धांजलि सभा

जबलपुर, 12 अक्टूबर 2025: "सड़कें खामोश होंगी तो संसद आवारा हो जाएगी"—यह कथन समाजवादी चिंतक, स्वतंत्रता सेनानी और गोवा मुक्ति आंदोलन के सूत्रधार डॉ. राम मनोहर लोहिया का था, जिनकी तृतीय पुण्यतिथि पर रविवार को जबलपुर में भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई। रसल चौक स्थित समाजवादी नेता राधेश्याम अग्रवाल के कार्यालय में शरद यादव विचार मंच और समाजवादी मंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. लोहिया के समाजवादी विचारों और सामाजिक समता के लिए उनके संघर्ष को याद किया गया।



सामाजिक समता और संविधान की रक्षा के प्रणेता

डॉ. राम मनोहर लोहिया ने 'जाति तोड़ो, समाज जोड़ो' के नारे के साथ भारत में व्याप्त सामाजिक विषमता को समाप्त करने और समता-आधारित समाज की स्थापना के लिए जीवनभर संघर्ष किया। उन्होंने महिलाओं, किसानों, छात्रों, युवाओं और कमजोर वर्गों के अधिकारों की वकालत की। संसद में चौखंबा राज्य व्यवस्था और पंचायती राज के प्रबल समर्थक रहे लोहिया ने धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद को भारतीय संविधान की मूल आत्मा बताया। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं, खासकर बैंकों के राष्ट्रीयकरण और पिछड़े वर्ग को 60% हिस्सेदारी की उनकी वकालत, जिसने सामाजिक न्याय की नींव रखी।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने बताया कि लोहिया का मानना था कि सड़कों पर जनता की आवाज बुलंद न हुई तो संसद निरंकुश हो जाएगी। उनकी यह बात आज के दौर में भी उतनी ही सटीक है, जब सामाजिक और आर्थिक असमानता के खिलाफ आंदोलन की जरूरत महसूस हो रही है।

2025 में लोहिया की प्रासंगिकता

आज, जब भारत आर्थिक असमानता और सामाजिक भेदभाव से जूझ रहा है, लोहिया के विचार और भी महत्वपूर्ण हो गए हैं। 2025 में भारत में सामाजिक न्याय की मांग तेज हो रही है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, देश में 60% से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहां पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है। लोहिया द्वारा प्रस्तावित चौखंबा राज्य—जो शासन को केंद्रीकृत से विकेंद्रित करने पर जोर देता है—आज ग्रामीण भारत के लिए एक रोडमैप हो सकता है। उनकी धर्मनिरपेक्षता की वकालत भी मौजूदा सामाजिक तनावों के बीच प्रासंगिक है।

श्रद्धांजलि सभा में प्रमुख उपस्थिति

कार्यक्रम में शरद यादव विचार मंच और समाजवादी मंच के प्रमुख सदस्य शामिल हुए। राधेश्याम अग्रवाल, रामरतन यादव, घनश्याम यादव, एड. सुधीर शर्मा, एड. नरेश चक्रवर्ती, अजीत यादव, एड. ओ.पी. यादव, बैजनाथ कुशवाहा, मूलचंद यादव, सरमन रजक, पूरन संजू यादव, नोखेलाल प्रजा, देवेंद्र यादव, विजय यादव, गया प्रसाद कुशवाहा, फूलचंद पालीवाल, डॉ. बालमुकुंद यादव, सुरेंद्र यादव, रमेश रजक, रिजवान अंसारी, अमित पांडे, अशोक यादव, आकाश यादव, मुरारी लाल चक्रवर्ती, सुंदर बाबा, राजेश पराग, इंद्र कुमार कुलस्ते सहित बड़ी संख्या में समाजसेवी उपस्थित रहे। सभी ने डॉ. लोहिया के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लिया।

लोहिया की विरासत को जीवित रखने का संकल्प

राधेश्याम अग्रवाल ने कहा, "डॉ. लोहिया का समाजवाद आज भी हमें प्रेरित करता है। उनकी सोच थी कि समाज का हर वर्ग सशक्त हो, और इसके लिए सड़कों पर आंदोलन जरूरी है।" रामरतन यादव ने जोर देकर कहा कि लोहिया के चौखंबा राज्य और पंचायती राज के विचार आज ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने का आधार बन सकते हैं।

समाजवादी विचारों का प्रसार

जबलपुर में यह आयोजन समाजवादी विचारधारा के प्रति लोगों की आस्था को दर्शाता है। देशभर में डॉ. लोहिया की पुण्यतिथि पर सभाएं आयोजित की जा रही हैं, जहां उनके सामाजिक समता, धर्मनिरपेक्षता और विकेंद्रित शासन के विचारों को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह आयोजन न केवल उनकी स्मृति को जीवित रखता है, बल्कि युवा पीढ़ी को उनके विचारों से प्रेरित होने का अवसर भी प्रदान करता है।

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