12 जिलों में 502 करोड़ की लागत से विकास कार्यों को मिली सैद्धांतिक स्वीकृति
मुख्यमंत्री ने बैठक में जिला खनिज प्रतिष्ठान के भाग-ख में विकास कार्यों को दी मंजूरी
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट किया है कि जिला खनिज प्रतिष्ठान से अर्जित निधि एक आरक्षित कोष है, जिसे मात्र खनन प्रभावित अंचलों में जनहितकारी और सार्वजनीन उपयोग की दृष्टि से दीर्घकालिक, टिकाऊ और ठोस निर्माण कार्यों के लिए नियोजित किया जाना चाहिए। ऐसे कार्य जिनका प्रत्यक्ष लाभ अधिकतम लोगों को मिल सके, उन्हें ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस निधि (डीएमएफ) से विद्यालय भवन, आरोग्य केंद्र, समुदाय भवन, पशु चिकित्सालय, खेल परिसर और विशेष रूप से वंचित तथा दुर्बल जनजातीय समुदायों (पीवीटीजी) के निवास क्षेत्रों में मूलभूत व स्थायी संरचनाएं सृजित की जाएं। मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि क्षणिक, अस्थायी या मरम्मत जैसे कार्य संबंधित विभागों के नियमित बजट से ही क्रियान्वित किए जाएं। यह निर्देश उन्होंने मंत्रालय में आयोजित उस समीक्षा बैठक के दौरान दिए, जिसमें खनिज प्रतिष्ठान के भाग-ख अंतर्गत प्रस्तावित विकास परियोजनाओं पर विमर्श हुआ।
बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश के 12 खनिज समृद्ध जनपदों में 502 करोड़ रुपये की लागत से संपन्न होने वाले विविध विकासात्मक उपक्रमों को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की। इस निधि से खनन प्रभावित भौगोलिक क्षेत्रों में अवसंरचनात्मक सुदृढ़ीकरण तथा विकास कार्य गति पकड़ेंगे। इस निर्णय के परिणामस्वरूप डिण्डौरी, शहडोल, अनूपपुर, बड़वानी, दमोह, छिंदवाड़ा, सिवनी, अलीराजपुर, शिवपुरी, सागर, रीवा और बैतूल जिलों में श्रेणीबद्ध निर्माण कार्य आरंभ होंगे। इनमें डिण्डौरी में आयुर्वेदिक महाविद्यालय का निर्माण, शहडोल की सोन नदी पर बैराज अथवा एनिकट, कोतमा (अनूपपुर) के चिकित्सालय में 100 बिस्तरों वाली अधोसंरचना की स्थापना तथा बड़वानी के भीलटदेव मंदिर तक के संपर्क मार्ग का निर्माण कार्य उल्लेखनीय हैं, जिन्हें डीएमएफ मद से निष्पादित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्देशित किया कि जिन परियोजनाओं का कार्यान्वयन शीघ्रता से संभव है, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर आरंभ किया जाए। जैसे विद्यालय परिसरों में पेयजल सुविधा हेतु जलाशयों का निर्माण, बाउंड्री वॉल की स्थापना—इन कार्यों को तात्कालिकता से संपन्न किया जाए ताकि छात्र-छात्राओं को तत्काल सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।
इस बैठक में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, मुख्यमंत्री कार्यालय के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, वित्त विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनीष रस्तोगी, खनिज संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव श्री उमाकांत उमराव तथा खनिकर्म निदेशक श्री फ्रेंक नोबल ए. सहित अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक में प्रमुख सचिव श्री उमराव ने अवगत कराया कि वर्तमान में जिला खनिज प्रतिष्ठान (भाग-ख) निधि में 1681 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध है, जिससे विविध पैमाने के कार्य संपन्न कराए जा सकते हैं। इसमें 60 प्रतिशत यानी 1008.6 करोड़ रुपये से अधिक की राशि को उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों—जैसे शिक्षा, पेयजल, पर्यावरणीय संरक्षण, स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता, कौशल उन्नयन, वृद्धजन एवं दिव्यांगजन कल्याण तथा महिला-बाल कल्याण—में उपयोग किया जा सकता है। वहीं शेष 40 प्रतिशत अर्थात् लगभग 672.4 करोड़ रुपये की राशि अन्य प्राथमिकता के क्षेत्रों—जैसे सिंचाई व्यवस्था, भौतिक अधोसंरचना, ऊर्जा एवं जलसंवर्धन—के लिए निर्धारित की गई है।
अब तक नोडल विभाग द्वारा कुल 1015 योजनाओं को अनुमोदन प्राप्त हो चुका है, जिनमें 317 योजनाएं उच्च प्राथमिकता वाली हैं और उन्हें शीघ्रता से क्रियान्वित किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि अनुमोदन उपरांत सभी परियोजनाएं जल्द प्रारंभ कर दी जाएंगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव को बैठक में पीएमकेकेकेवाई (प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना) की नवीन दिशा-निर्देशों के विषय में भी अवगत कराया गया। प्रमुख सचिव श्री उमराव ने बताया कि नई गाइडलाइन के अनुसार मुख्य खनिज खदान या खदान समूह के 15 किमी परिधि तक का क्षेत्र प्रत्यक्ष खनन प्रभावित माना जाएगा। इसके अतिरिक्त जहां खनन गतिविधियों के कारण स्थानीय जनसंख्या को सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय रूप से क्षति हुई है, वहां मुख्य खदान से 25 किमी तक का क्षेत्र अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित क्षेत्र माना जाएगा। केंद्र सरकार ने उच्च प्राथमिकता क्षेत्र में अब आवास, कृषि और पशुपालन को भी सम्मिलित कर लिया है, जबकि 30 प्रतिशत निधि को अन्य प्राथमिकता क्षेत्र हेतु नियत किया गया है, जिसमें खनन जिलों के पर्यावरणीय मानकों को उन्नत बनाने के उपाय भी जोड़े गए हैं।
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