जल संरक्षण को जन-आंदोलन में बदला ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आह्वान

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ को मध्यप्रदेश की जल समृद्धि की नई गाथा बताया है। उन्होंने कहा कि यह अभियान अब केवल सरकारी पहल नहीं, बल्कि जन-जन का अभियान बन चुका है, जिसने जल संरक्षण को सामाजिक आंदोलन का स्वरूप दे दिया है। उन्होंने प्रदेशवासियों से पानी की हर बूंद को सहेजने का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए कहा कि “जल ही जीवन है” केवल एक नारा नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व की आवश्यकता है।


डॉ. यादव ने रामचरितमानस की प्रसिद्ध चौपाई “क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा” का उल्लेख करते हुए कहा कि जल पंचतत्वों में प्रमुख है और इसे संरक्षित रखना हमारी सांस्कृतिक विरासत है। उन्होंने ऋग्वेद, रामायण और महाभारत में जल संरक्षण की परंपरा की चर्चा करते हुए इसे भारतीय संस्कृति की आत्मा बताया।

मुख्यमंत्री ने बताया कि यह अभियान 30 मार्च, गुड़ी पड़वा के दिन उज्जैन के पवित्र शिप्रा तट से आरंभ हुआ था और 90 दिनों तक चलकर पूरे प्रदेश में जल संरचनाओं के निर्माण, जल स्रोतों के पुनर्जीवन और व्यापक जनजागरूकता का अभियान बना। खंडवा जिले ने इस अभियान में 1.29 लाख जल संरचनाओं का निर्माण कर प्रथम स्थान प्राप्त किया है।

तकनीक और सहभागिता से बदला जल संरक्षण का परिदृश्य

डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘कैच द रेन’ और ‘मिशन लाइफ’ से प्रेरणा लेकर जल गंगा संवर्धन अभियान की दिशा तय की गई। पहली बार प्रदेश में बड़े स्तर पर वर्षा जल संरक्षण, रीयूज-वाटर पोर्टल की स्थापना और एआई आधारित सिपरी सॉफ्टवेयर से जल प्रबंधन किया गया। 83 हजार से अधिक खेत-तालाबों, डगवेल रिचार्ज संरचनाओं और अमृत सरोवरों का निर्माण किया गया। इससे ‘खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में’ रोकने का सपना साकार हो रहा है।

सांस्कृतिक धरोहरों का पुनर्जीवन

अभियान के माध्यम से ऐतिहासिक जल संरचनाओं को भी पुनर्जीवित किया गया। भोपाल की ‘बड़े बाग की बावड़ी’ और देवी अहिल्याबाई द्वारा निर्मित 200 वर्ष पुरानी बावड़ी को नवजीवन देकर परंपरा और आधुनिकता का संगम प्रस्तुत किया गया। पूरे प्रदेश में 2 हजार से अधिक बावड़ियों का जीर्णोद्धार कर ‘बावड़ी उत्सव’ मनाया गया।

युवा और किसान बने जल संरक्षण के सच्चे प्रहरी

प्रदेश में पहली बार 2.30 लाख जलदूतों को तैयार किया गया जो जल सुरक्षा के जननायक बनेंगे। इसके अलावा 1.5 लाख से अधिक कृषकों ने 812 पानी चौपालों में भाग लेकर अपने अनुभव साझा किए और जल संरक्षण को अपनी खेती और भविष्य की समृद्धि से जोड़ा।

नदियों को दी गई हरियाली की चुनरी

मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश में 267 नदियों के उद्गम चिन्हित कर 145 नदियों के किनारे पौधरोपण किया गया है, जिससे नदियों को उनके मायके में हरियाली की चुनरी ओढ़ाई जा रही है।

“जन सहयोग से संभव हुए जल संरक्षण के कीर्तिमान”

मुख्यमंत्री ने अभियान की सफलता का श्रेय जनसहभागिता को देते हुए कहा कि यह सरकार, समाज और जन की एकजुटता का परिणाम है। नगर-नगर, गांव-गांव में चलाए गए इस अभियान में समाजसेवी, छात्र, महिलाएं, किसान और युवा सभी जुड़े और जल संरक्षण को अपने जीवन का संकल्प बनाया।

अंत में मुख्यमंत्री ने महाभारत के शांति पर्व का श्लोक उद्धृत करते हुए कहा –
“अद्भिः सर्वाणि भूतानि जीवन्ति प्रभवन्ति च।”
(जल से ही समस्त जीवों की उत्पत्ति और जीवन संभव है।)

मुख्यमंत्री का आह्वान

“आइए, हम सब मिलकर जल संरक्षण का संकल्प लें और जल गंगा संवर्धन अभियान को जनभागीदारी से ऐसा आंदोलन बनाएं जो मध्यप्रदेश को जल समृद्ध, कृषि समृद्ध और भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित बना सके।” 

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