PM Modi-Iran President Call: मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति से फोन पर की बात, तनाव कम करने और कूटनीति से समाधान पर दिया जोर

नई दिल्ली। Israel-Iran-America Conflict Update: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार दोपहर ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान से टेलीफोन पर बातचीत की। इस दौरान मोदी ने ईरान-इज़राइल संघर्ष में अमेरिका के हस्तक्षेप के बाद बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता जताई और संवाद एवं कूटनीति के ज़रिये समाधान तलाशने की ज़रूरत पर जोर दिया।



📞 फोन कॉल में क्या-क्या हुआ? जानिए अहम बातें

प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए लिखा:

"ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान से बात की। हमने वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तार से चर्चा की और हाल की वृद्धि पर गहरी चिंता व्यक्त की।"

उन्होंने आगे कहा:

“क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता को शीघ्र बहाल करने के लिए तत्काल तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति की आवश्यकता पर बल दिया गया।”


🌐 विदेश मंत्रालय का आधिकारिक बयान: भारत का रुख स्पष्ट

विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि ईरान के राष्ट्रपति पेज़ेशकियान ने स्वयं प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया और ईरान-इज़राइल संघर्ष पर ईरान का दृष्टिकोण साझा किया।

बयान के अनुसार:

  • प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत शांति और मानवता के पक्ष में है।

  • उन्होंने तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति को आगे बढ़ाने की जरूरत दोहराई।

  • क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता की शीघ्र बहाली के लिए भारत ने समर्थन जताया।


🇮🇳 भारतीय समुदाय की सुरक्षा पर भी चर्चा

प्रधानमंत्री ने ईरानी राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया कि उन्होंने ईरान में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षित स्वदेश वापसी में सहयोग प्रदान किया।


🤝 व्यापार, प्रौद्योगिकी और सहयोग पर भी चर्चा

दोनों नेताओं ने यह भी संकल्प लिया कि:

  • भारत-ईरान के बीच व्यापार, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और जनसंपर्क जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत किया जाएगा।

  • वे भविष्य में निरंतर संवाद बनाए रखने पर सहमत हुए हैं।


🌍 पृष्ठभूमि: क्यों है यह कॉल महत्वपूर्ण?

ईरान, इज़राइल और अमेरिका के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच यह बातचीत क्षेत्रीय कूटनीति के लिए एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है। ऐसे समय में जब परमाणु ठिकानों पर हमले हो चुके हैं और युद्ध की आशंका प्रबल है, भारत ने मध्यस्थता और शांति के पक्षधर राष्ट्र के रूप में अपनी भूमिका को दोहराया है।

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