🔥 बिहार में फिर दरिंदगी: डायन बताकर आदिवासी परिवार के 5 लोगों को जिंदा जलाया, तांत्रिक समेत दो गिरफ्तार

पटना | 7 जुलाई 2025। बिहार में एक बार फिर अंधविश्वास और भीड़ हिंसा ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। पूर्णिया जिले के टेटगामा गांव में सोमवार रात एक आदिवासी परिवार के पांच लोगों को डायन-टोना के शक में जिंदा जलाकर मार डाला गया। इस दिल दहला देने वाली वारदात में गांव के कथित मुखिया (मर्रर) नकुल उरांव की अगुवाई में करीब 200 ग्रामीणों की भीड़ शामिल थी।

घटना मुफस्सिल थाना क्षेत्र के राजीगंज पंचायत के वार्ड-10 की है, जहां ग्रामीणों ने पहले परिवार के सदस्यों को लाठी-डंडों से पीटा, फिर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी। मरने वालों में तीन महिलाएं और दो पुरुष हैं, जिनमें सीता देवी (48), बाबूलाल उरांव (50), कातो देवी (65), मंजीत उरांव (25) और रानी देवी (23) शामिल हैं।

💥 पंचायत ने सुनाया था 'तालिबानी फरमान'

स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक, गांव में तांत्रिक नकुल उरांव के इशारे पर रविवार रात पंचायत बुलाई गई थी। पंचायत में डायन-टोना के नाम पर सीता देवी और उनके परिवार को मौत की सजा सुना दी गई। इस भयावह घटना का प्रत्यक्षदर्शी मृतक का पुत्र सोनू कुमार किसी तरह बच निकला और पुलिस को सूचना दी।

🚨 प्रशासनिक हरकत में, पुलिस कर रही छापेमारी

घटना की सूचना मिलते ही एसपी स्वीटी सहरावत, एएसपी आलोक रंजन, मुफस्सिल थानाध्यक्ष उत्तम कुमार समेत तीन थानों की पुलिस ने गांव को घेर लिया। अब तक दो शव बरामद हो चुके हैं जबकि बाकी तीन की तलाश जारी है। एफएसएल और डॉग स्क्वायड की टीम को भी मौके पर बुलाया गया है।

फिलहाल, मुखिया नकुल उरांव और एक ट्रैक्टर चालक को हिरासत में लिया गया है। पुलिस शेष आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार तलाशी अभियान चला रही है।


⛔ बिहार में डायन के नाम पर हिंसा कोई नई बात नहीं

बिहार में अंधविश्वास के चलते हिंसा की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। मार्च 2025 में जमुई जिले में एक बुजुर्ग दंपति को भी डायन बताकर पीट-पीटकर मार डाला गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ कुरीति नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक और जातिगत भेदभाव की भी झलक है।


📢 सरकार और समाज के लिए चुनौती

इस वीभत्स हत्याकांड ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बिहार में कानून का डर खत्म हो गया है? और क्या ग्रामीण इलाकों में अब भी 'जंगल राज' कायम है?

मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाने और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा देने की मांग की है।

👉 इस तरह की घटनाएं न केवल कानून व्यवस्था बल्कि हमारी सामाजिक चेतना पर भी सवाल खड़ा करती हैं। अब वक्त है कि हम अंधविश्वास और भीड़तंत्र के खिलाफ मिलकर खड़े हों।

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