“वाहन कंपनियों से सांठगांठ कर जनता को कर रही है परेशान दिल्ली सरकार” — डॉ. नरेश कुमार का आरोप

नई दिल्ली। दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर अब राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ. नरेश कुमार ने सरकार की इस नीति को “जनविरोधी साजिश” करार दिया है और सीधे तौर पर वाहन निर्माता कंपनियों से सांठगांठ का आरोप लगाया है।



🚗 “जबरन स्क्रैप नीति से जनता पर लादा जा रहा है आर्थिक बोझ”

मंगलवार को दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ. नरेश ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार और दिल्ली की आप सरकार ने पूरी तरह फिट और प्रदूषण-मुक्त पुरानी गाड़ियों को जबरन स्क्रैप घोषित करने की रणनीति अपनाई है।

यह एक सोची-समझी चाल है, ताकि वाहन कंपनियों की बिक्री बढ़े और जनता को नयी गाड़ी खरीदने के लिए मजबूर किया जाए, — डॉ. नरेश कुमार

उन्होंने कहा कि जो वाहन आज भी तकनीकी रूप से ठीक हैं, उनके मालिकों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन देने से रोक कर, डर और दबाव का माहौल बनाया जा रहा है। यह नीति सीधे तौर पर मध्यमवर्गीय और निम्न आय वर्ग के वाहन मालिकों पर आर्थिक चोट है।


⚖️ “जनता के साथ छल, पर्यावरण की आड़ में व्यापारिक खेल”

डॉ. नरेश ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि सरकार वाकई प्रदूषण को लेकर गंभीर होती, तो वह पर्यावरणीय नीतियों का वैज्ञानिक आधार तैयार करती और चरणबद्ध तरीके से सुधार लागू करती।

यह नीति सिर्फ दिखावे के लिए है, असल मकसद वाहन कंपनियों की जेब भरना है, — उन्होंने कहा। 


🔍 सरकार से उठाए ये सवाल:

  1. क्या हर पुरानी गाड़ी प्रदूषणकारी है?

  2. क्या सरकार ने वाहनों की फिटनेस की अलग-अलग जांच की है या सिर्फ वर्ष आधारित फैसला लिया है?

  3. क्या पर्यावरणीय सुधार के लिए बेहतर सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध कराया गया है?

  4. क्या स्क्रैप नीति के तहत वाहन मालिकों को कोई मुआवजा या विकल्प दिया गया?


🧾 “जनता को चाहिए जवाब, न कि झूठे वादे”

डॉ. नरेश ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह पुरानी गाड़ियों की बिक्री और ईंधन पर लगे प्रतिबंध को तुरंत प्रभाव से स्थगित करे, और नीति को पुनः समीक्षा के लिए सार्वजनिक चर्चा में लाए। उन्होंने यह भी मांग की कि स्वस्थ और तकनीकी रूप से ठीक वाहनों को स्क्रैप न माना जाए, बल्कि उन्हें परीक्षण के आधार पर चलने की अनुमति दी जाए। 

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